जांच की आंच होगी तेज: 2010 के बाद की सभी भर्तियां जांच के दायरे में
उत्तराखंड वनविभाग में साल 2010-11 के बाद जो भर्तियां हुर्इ हैं उन सभी भर्तियों की अब विजिलेंस से जांच कराई जाएगी। इसकी संस्तुति भी कर ली गर्इ है।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: वन विभाग में वर्ष 2010-11 के बाद की गई सभी भर्तियों की जांच की विजिलेंस जांच की संस्तुति की गई है। इसके साथ ही वर्ष 2013 में राजाजी राष्ट्रीय पार्क में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर की गई वन आरक्षियों की भर्ती में तत्कालीन उप निदेशक व वर्तमान में प्रभागीय वनाधिकारी हरिद्वार एचके सिंह को दोषी पाया गया है। हालांकि, जांच की कार्रवाई तब हो पाएगी जब फाइल आगे बढ़ेगी। क्योंकि मई 2017 से फाइल वन विभाग में डंप पड़ी है। जबकि फाइल पर मुख्य सचिव एस रामास्वामी से लेकर वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत तक के हस्ताक्षर हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता विनोद जैन की ओर से मांगी गई सूचना में इस बात का खुलासा हुआ।
फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले तीन वन आरक्षियों को बर्खास्त करने के बाद उन पर मुकदमा दर्ज कराकर वन विभाग के अधिकारियों ने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी। इसे लेकर विनोद जैन ने शासन से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। जवाब में शासन से तमाम टीप और आज्ञाएं प्राप्त हुईं, जिसमें राजाजी राष्ट्रीय पार्क में आरक्षियों की भर्ती करने वाली समिति को दोषी पाया गया। समिति के अध्यक्ष तत्कालीन पार्क उप निदेशक एचके सिंह को विशेष रूप से इसका जवाबदेह बताते हुए कहा गया कि उन्होंने खुद ही समिति बनाई। शासन की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि समिति गठन में नियमों की भी अनदेखी की गई।
नियमानुसार समिति में पांच सदस्य होने चाहिए थे और इसमें चार सदस्य ही शामिल किए गए। इसके अलावा शासन ने टिप्पणी में कहा कि वन विभाग में भर्तियों को लेकर काफी शिकायतें मिल रही हैं, लिहाजा वर्ष 2010-11 के बाद की सभी भर्तियों की जांच की जानी चाहिए। विभिन्न स्तर से होते हुए यह फाइल हस्ताक्षर के लिए मुख्य सचिव के पास पहुंची तो 12 मई को उन्होंने विजिलेंस जांच की संस्तुति की।
वहीं, 17 मई को वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने फाइल पर हस्ताक्षर करते हुए वार्ता के लिए लिखा है। इसके बाद भी फाइल का आगे न बढ़ पाना वन विभाग की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
समय के अभाव में परीक्षण नहीं
राजाजी राष्ट्रीय पार्क में वन आरक्षियों की भर्ती में की गई धांधली में पार्क के तत्कालीन उप निदेशक एवं हरिद्वार वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी एचके सिंह ने शासन को जवाब भी भेजा है। उन्होंने कहा कि समय की कमी के कारण अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच नहीं की गई और चयन समिति की संस्तुति के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया।
वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि कुछ समय पहले यह फाइल उनके पास आई थी और उन्होंने उस पर वार्ता के लिए भी लिखा था। लेकिन फिर इस पर क्या हुआ उन्हें पता नहीं। फाइल को मंगाकर उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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