अहोई अष्टमी कल, संतान की सलामती के लिए मां रखेंगी निर्जला व्रत, जानिए क्या है पूजा का मुहूर्त
सोमवार सुबह नौ बजकर 29 मिनट से मंगलवार सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। सोमवार शाम पांच बजकर 50 मिनट से सात बजकर पांच मिनट तक पूजा का शुभ मूहुर्त रहेगा। छह बजकर 13 मिनट पर तारों के दिखने का समय शुरू हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून: संतान के कुशल भविष्य के लिए कल सोमवार को अहोई अष्टमी व्रत रखा जाएगा। महिलाएं निर्जला व्रत रख भगवान शिव व पार्वती की आराधना व संतान की सलामती की कामना करेंगी। सोमवार सुबह नौ बजकर 29 मिनट से मंगलवार सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। सोमवार शाम पांच बजकर 50 मिनट से सात बजकर पांच मिनट तक पूजा का शुभ मूहुर्त रहेगा। छह बजकर 13 मिनट पर तारों के दिखने का समय शुरू हो जाएगा।
करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाएगा व्रत
हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक, करवा चौथ के चार दिन बाद यह व्रत रखा जाता है। इस दिन मां अपनी संतान के कुशल भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और तारा दिखने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं।
व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न
मान्यता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत माता अहोई की आरती के बिना पूर्ण नहीं होती है। उन्होंने बताया कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।
Roorkee News : वाल्मीकि शोभायात्रा निकाले जाने पर बवाल, धारा 144 लागू, भारी पुलिस बल तैनात
अहोई अष्टमी व्रत की पूजाविधि
अहोई पूजन के लिए शाम के समय घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू अथवा पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। विधि पूर्वक स्नान, तिलक आदि के बाद खाने का भोग लगाया जाता है। समृद्ध परिवार इस दिन चांदी की अहोई बनवाकर भी पूजा करते हैं। इसी के साथ कुछ जगह चांदी की अहोई में दो मोती डालकर विशेष पूजा करने का भी विधान है।