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एकबार फिर उठे आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल, जानिए

आयुर्वेद विश्वविद्यालय एकबार फिर से सवालों के घेरे में है। इस बार विवि से हटाए गए कर्इ कर्मचारियों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 05:21 PM (IST)
एकबार फिर उठे आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल, जानिए
एकबार फिर उठे आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल, जानिए

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। विवि से हटाए गए कर्मचारियों ने विवि प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। अधिकारी अब तक यह कहकर बच रहे थे कि यह सभी विवि नहीं बल्कि पीपीपी मोड पर संचालित धनवंतरी वैधशाला के अनुबंधित कर्मचारी थे। ऐसे में अब कर्मचारियों ने सवाल किया है कि धनवंतरी वैधशाला का करार खत्म होने के बाद भी विवि ने उनसे किस आधार पर 15 माह काम कराया। 

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दरअसल, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पूर्व से पीपीपी मोड पर धनवंतरी वैधशाला संचालित की जा रही थी। जहां कर्मी 2016 से विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। मुख्य परिसर की मान्यता पर बात आई तो तत्कालीन रजिस्ट्रार ने इन्हें विवि से संबद्ध कर लिया। हर बार मान्यता के लिए इन्हें विवि का ही कर्मचारी दर्शाया गया। मई 2018 में इन कर्मचारियों को अचानक बिना किसी कारण विवि प्रशासन ने बाहर निकाल दिया। 

इतना ही नहीं कर्मियों के विवि प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। जिसके बाद कर्मी विवि में पुनर्नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। वह पिछले काफी वक्त से विवि परिसर के बाहर धरना दे रहे हैं। अब उन्हें आयुष शिक्षा सचिव को पत्र भेज इस मामले में  कार्रवाई करने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि जब धनवंतरी वैद्यशाला व आयुर्वेद विवि के बीच पांच मई 2017 को करार समाप्त हो गया था, तो मई 2017 से मई 2018 तक उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय ने कर्मियों से किस आधार पर कार्य कराया। इतना ही नहीं विवि ने इसकी एवज में वेतन तक कर्मियों को नहीं दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि विवि द्वारा इस अवधि में कर्मियों को केवल अपनी मान्यता हासिल करने के लिए मोहरा बनाया। सीसीआइएम के निरीक्षण के बाद मान्यता मिलते ही कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कर्मचारियों ने शासन से जल्द मामले में सकारात्मक  कार्रवाई करते हुए पदों पर समायोजित किए जाने  की मांग की। मांग पूरी न होने पर बेमियादी अनशन की चेतावनी दी। 

इन पदों पर थे नियुक्त 

लिपिक, लेखा लिपिक, लेखाकार, फार्मेसिस्ट, पंचकर्म सहायक, स्टाफ नर्स, लाइब्रेरियन, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया, लैब असिस्टेंट समेत सामान्य चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के रूप में नियुक्ति। 

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