सौ दिन बाद कोरोना को हराकर घर पहुंची 42 साल की महिला, चिकित्सकों ने पेश की सेवा और समर्पण की मिसाल
कोरोना ने मानवता को ऐसे जख्म दिए हैं जिन्हें भरने में एक लंबा अर्सा निकल जाएगा। इस संक्रमण की वजह से कई लोग की जान चली गई। पर कई ऐसे भी लोग जिन्होंने न सिर्फ कोरोना को हराया बल्कि अपने जज्बे से समाज को सकारात्मक संदेश भी दिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर ने मानवता को ऐसे जख्म दिए हैं, जिन्हें भरने में एक लंबा अर्सा निकल जाएगा। इस संक्रमण की वजह से कई लोग की जान चली गई। पर कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने न सिर्फ कोरोना को हराया, बल्कि अपने जज्बे से समाज को सकारात्मक संदेश भी दिया है। 42 साल की एक महिला सौ दिन बाद सेना अस्पताल से डिस्चार्ज हुई है। डाक्टरों ने कड़ी मेहनत कर उनकी जान बचा ली।
जानकारी के अनुसार दून निवासी सेवारत सैन्य अधिकारी की पत्नी अप्रैल में कोरोना संक्रमित हुई थी। बीती 21 अप्रैल को उन्हें गंभीर अवस्था में गढी कैंट स्थित सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों के अनुसार महिला को अस्पताल लाया गया तो उन्हें कोविड न्यूमोनिया के गंभीर लक्षण थे। आक्सीजन सैचुरेशन बेहद कम था और सांस उखड़ रही थी। फेफड़ों में गहरा संक्रमण था और महिला रेस्पिरेटरी फेलियर की स्थिति में थी। उन्हें लंबे वक्त तक आइसीयू में रखना पड़ा। कोविड प्रोटोकाल के तहत सटीक इलाज से धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार आया। पर चुनौती अभी खत्म नहीं हुई थी। कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद महिला को पोस्ट कोविड गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ा, लेकिन चिकित्सकों ने हार नहीं मानी।
पोस्ट कोविड पैलिएटिव वार्ड में उनका उपचार किया गया। चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के सेवाभाव व समर्पण का ही नतीजा है कि महिला अब स्वस्थ है। जनसंपर्क अधिकारी कर्नल समीर शर्मा के अनुसार चिकित्सकों के निरंतर प्रयास के साथ मरीज भी दृढ़ इच्छाशक्ति वाला था। सेना अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समॢपत टीम है। इसी टीम के प्रयास से महिला 100 दिन बाद अस्पताल से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुई है। इधर, महिला के स्वजन ने चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया है। उनका मानना है कि चिकित्सकों की ही बदौलत महिला को नया जीवन मिला है।
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