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एक माह में सुझावों ने नहीं छुआ दहाई का आंकड़ा

जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में एक ठोस महिला नीति बनाने में आमजन की सहभागिता न हो पाने

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Dec 2017 07:52 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 07:52 PM (IST)
एक माह में सुझावों ने नहीं छुआ दहाई का आंकड़ा

जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में एक ठोस महिला नीति बनाने में आमजन की सहभागिता न हो पाने से नीति नियंता टेंशन में हैं। हों भी क्यों न, पिछले एक माह में आमजन के महज सात सुझाव ही महिला आयोग को मिले हैं। महिला आयोग ने गंभीरता दिखाते हुए अब विभिन्न क्षेत्र के बुद्धिजीवी लोगों के साथ बैठकें कर सुझाव आमंत्रित करने शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में शुक्रवार को पहले चरण में महिला पत्रकारों एवं अनुभवी लोगों के साथ मंत्रणा की गई।

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प्रेस क्लब के समीप स्थित एक होटल में हुई बैठक आयोग की अध्यक्ष सरोजनी कैंतुरा ने महिला पत्रकारों से सामाजिक, आर्थिक एवं न्यायिक स्थिति मजबूत करने के लिए आवश्यक सुझाव मांगे। महिला पत्रकारों ने कहा कि उत्तराखंड जैसे शांत राज्य में भी बेटियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं है। सड़क पर घूम रहे मनचले आए दिन स्कूली छात्राओं को परेशान करते हैं। इसके लिए पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ाने के साथ ही पारिवारिक संस्कारों पर भी विशेष जोर दिया जाए। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं को विकसित करने के सुझाव दिए गए। कहा कि हद तो तब होती है प्रसूताएं दर्द के मारे सड़क पर प्रसव को मजबूर होती हैं। वहीं, यह भी माना कि केवल शिक्षित होने से बेटियों, महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित नहीं होगा। बल्कि ये परिवार के आदर्श माहौल और संस्कारों पर निर्भर करता है। महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायतों पर आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि सभी निजी कंपनियों में भी यौन उत्पीड़न निवारण समिति के गठन की जांच की जा रही है। महिला पत्रकारों की ओर से आयोग से सोशल साइट्स पर भी सक्रियता बढ़ाने का सुझाव दिया गया।


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