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    खाने-पीने की चीजों में तेजी से घुल रहा है मिलावट का जहर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 27 Jun 2017 08:34 PM (IST)

    स्वस्थ जिंदगी का आधार ही स्वस्थ खानपान है। लेकिन पिछले कुछ अरसे से खाने-पीने की चीजों में मिलावट का जहर तेजी से घुलता जा रहा है। ...और पढ़ें

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    खाने-पीने की चीजों में तेजी से घुल रहा है मिलावट का जहर

    देहरादून, [जेएनएन]: स्वस्थ जिंदगी का आधार ही स्वस्थ खानपान है। लेकिन पिछले कुछ अरसे से खाने-पीने की चीजों में मिलावट का जहर तेजी से घुलता जा रहा है। यहां तक की नामी गिरामी कंपनियां भी शुद्धता की कसौटी पर फेल साबित हुई हैं। जनपद देहरादून में पिछले तकरीबन छह साल में खाद्य पदार्थों के 14 फीसद नमूने फेल हुए हैं।

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    बाजार में बिक रही तमाम तरह की खाद्य सामग्री आज मिलावट से अछूती नहीं है। यह मिलावट इतनी बारीकी से की जाती है कि मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावट वाले खाद्य पदार्थ में भेद करना भी मुश्किल हो जाता है। मिलावट युक्त खाद्य पदार्थ का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है व शरीर में विकार उत्पन्न होने कि आशंका बढ़ जाती है। 

    शहर में भी मिलावट का धंधा खासा फल फूल रहा है। खासकर त्योहारों पर मिलावटखोर ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। जिन पर लगाम कसने के लिए एक पूरा तंत्र है, लेकिन यह भी लाचार नजर आता है। हद ये कि जिन खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग के परिणाम 14 दिन के भीतर आ जाने चाहिए, महीनों तक पता नहीं लगता कि वह खाने लायक भी थे या नहीं। अधिक समय होने के चलते सैंपलिंग की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ जाती है। यही वजह है कि दून में मिलावट का धंधा मशीनरी की मौजूदगी में भी फलता फूलता रहता है। 

    वर्षवार सैंपलिंग की स्थिति

    वर्ष------नमूनों की संख्या------फेल नमूने 

    2011-12-------8478-----------62

    2012-13------1005-----------157

    2013-14------1340-----------158

    2014-15--------499-------------45

    2015-16-------1055----------187

    2016-17---------874----------172

    लंबित वाद की स्थिति 

    एडीएम कोर्ट, 371

    जिला एवं सत्र न्यायालय, 56 

    (मार्च 2017 तक)

    कुल लाइसेंस, 9041

    रजिस्ट्रेशन, 68105

    मिलावट के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाता है

    जिला अभिहिृत अधिकारी अनोज थपलियाल का कहना है कि मिलावट के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाता है। गत वर्षों में जिन भी खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल आए हैं उनमें सब स्टैंडर्ड उत्पाद ज्यादा हैं। इसमें बहुत गंभीर प्रकृति के मामले नहीं हैं। 

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