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आरोपित पुलिसकर्मी व साजिशकर्ता गए जेल

आइजी गढ़वाल की सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर को लूटने वाले पुलिसकर्मी और साजिशकर्ता प्रॉपर्टी डीलर को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:35 AM (IST)
आरोपित पुलिसकर्मी व साजिशकर्ता गए जेल
आरोपित पुलिसकर्मी व साजिशकर्ता गए जेल

जागरण संवाददाता, देहरादून: आइजी गढ़वाल की सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर को लूटने के आरोपित पुलिसकर्मियों व साजिश में शामिल प्रॉपर्टी डीलर को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में पेश कर दिया। अदालत में सहायक अभियोजन अधिकारी ने संगीन जुर्म बताते हुए आरोपितों को न्यायिक हिरासत में लेने का अनुरोध किया। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने धारा 365 व 392 लगाए जाने का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सभी को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार सुद्धोवाला भेज दिया। रिमांड पर अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

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राज्य की ओर से पैरवी करते हुए सहायक अभियोजन अधिकारी अनूप चौधरी ने अदालत को बताया कि बीती चार अप्रैल की रात प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर को डब्ल्यूआइसी में अनुपम शर्मा ने प्रॉपर्टी से संबधित रकम लेने के लिए बुलाया। अनुरोध जब वहां से बैग लेकर लौट रहे थे तो रास्ते में होटल मधुबन के पास एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो में बैठे तीन लोगों ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। उनके रुकते ही स्कॉर्पियो से दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उतरे। चुनाव की चेकिंग के नाम पर उन्होंने कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग कब्जे में ले लिया। छह अप्रैल को अनुरोध ने दून पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने जांच शुरू की तो पाया कि स्कॉर्पियो आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित है और उसमें बैठे दारोगा दिनेश नेगी, सिपाही हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी ने वारदात को अंजाम दिया है। मामले में दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया, बाद में जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। मंगलवार की रात चारों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों पर आइपीसी की धारा 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना, हिरासत में लेना), 365 (अपहरण) व 170 (सरकारी पद का दुरुपयोग), 392 (लूट) और 120बी (साजिश रचना) की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। पुलिस कर्मियों ने लोकसेवक के पद पर रहते हुए अपराध किया है, जो नरमी बरतने के योग्य नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने लूट और अपहरण की धारा लगाए जाने पर आपत्ति जताई, लेकिन कोर्ट ने प्रकरण को बेहद गंभीर बताते हुए सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।


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