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उत्तराखंड में आई आपदा से पेयजल योजनाओं को करीब 38 करोड़ का नुकसान, मंत्री ने दिए ये निर्देश

आपदा से पेयजल योजनाओं को 38 करोड़ रुपये की क्षति का अनुमान है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने विधानसभा में विभागीय समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं को दो दिन में दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 02:21 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 08:24 PM (IST)
उत्तराखंड में आई आपदा से पेयजल योजनाओं को करीब 38 करोड़ का नुकसान।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। हाल में आई आपदा से उत्तराखंड में 991 पेयजल योजनाएं ध्वस्त हुई। इससे करीब 38.15 करोड़ रुपये की क्षति आंकी गई है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल की अध्यक्षता में मंगलवार को विधानसभा में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन क्षेत्रों में अभी जलापूर्ति बाधित है, वहां पेयजल लाइनों को दो दिन में ठीक कराकर आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। साथ ही पेयजल नलकूपों को पांच दिन के भीतर दुरुस्त कराने को कहा गया है।

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पेयजल मंत्री चुफाल ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पेयजल लाइनों को दुरुस्त करने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है। सभी डीएम को सड़क व पेयजल लाइनें ठीक करने को 10-10 करोड़ की राशि दी गई है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित नैनीताल जिले में स्वच्छ पेयजल की दिक्कत बनी हुई है। वजह ये कि गौला नदी का पानी गदला है। अब इसे फिल्टर कर आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है। जिन क्षेत्रों में ज्यादा दिक्कत है, वहां टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि हरिद्वार शहर में छह किमी सीवर लाइन बिछाने समेत चार योजनाओं को स्वीकृति दी गई है।

पेयजल कर्मियों को समय पर मिलेगा वेतन

मंत्री चुफाल के अनुसार पेयजल निगम में पिछले 15 साल से वेतन का बैकलाग चल रहा था, जिसे अब दूर कर दिया गया है। कार्मिकों को पहली बाद दीपावली से पहले वेतन मिला है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कर्मचारियों को कई-कई माह तक वेतन नहीं मिल पाता था। वजह ये कि निगम को सेंटेज के रूप में मिलने वाली राशि में वक्त लगता था। अब कर्मचारियों को कोषागार के माध्यम से वेतन दिया जाएगा। इस बारे में वित्त विभाग से बात की जाएगी।

वेलफेयर को बनेगा प्रकोष्ठ व फंड

पेयजल निगम, जल संस्थान की विभिन्न योजनाओं में कार्यरत 1200 कर्मचारियों को सरकार राहत देने जा रही है। पेयजल मंत्री के मुताबिक इन कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए अलग से प्रकोष्ठ गठित करने के साथ ही फंड स्थापित किए जाएगा। इससे शादी, ब्याह या आकस्मिक स्थिति में सहायता मिल सकेगी। वैसे भी प्रदेश में 102 पंपिंग योजनाएं बन रही हैं, जिससे कर्मियों की संख्या भी बढ़ेगी। ऐसे में वेलफेयर फंड जरूरी है। श्रम विभाग से इसके लिए धनराशि ली जाएगी। उन्होंने बताया कि पेयजल से संबंधित विभागों के राजकीयकरण व एकीकरण में वक्त लगेगा। इस बारे में कैबिनेट में मसला रखा जाएगा।

रुद्रप्रयाग व हरिद्वार में सौ फीसद डीपीआर तैयार

पेयजल मंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में 80 फीसद से ज्यादा योजनाओं की डीपीआर तैयार हो चुकी हैं। हरिद्वार व रुद्रप्रयाग जिलों में यह कार्य सौ फीसद हो चुका है। इन जिलों में एक-एक योजना रह गई है, जो पांच करोड़ से अधिक की है। उन्होंने बताया कि 15 दिन के भीतर प्रदेश में सभी डीपीआर तैयार कर टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, ताकि मार्च 2022 तक हर घर को नल से जोड़ने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

हर ब्लाक में बनेगी टेस्टिंग लैब

पेयजल मंत्री ने बताया कि पेयजल की गुणवत्ता की जांच को सभी जिलों में 27 लैब हैं। अब सभी 95 ब्लाक में टेस्टिंग लैब बनेंगी, जिन्हें इंटर कालेजों में स्थापित किया जाएगा। इनके संचालन में संबंधित कालेज के विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों की मदद ली जाएगी। इसके अलावा सभी 7791 ग्राम पंचायतों के प्रत्येक गांव में पांच-पांच महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे टेस्टिंग किट से पानी की जांच कर सकें।

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