Move to Jagran APP

सत्ता के गलियारे से : अब बस 'आप' के चेहरे का इंतजार है

आप को बस एक अदद चेहरे की तलाश है जिसे सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सके। यह चेहरा किसी सेवानिवृत्त फौजी अफसर कोई ब्यूरोक्रेट समाजसेवी किसी का भी हो सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 09:13 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 11:58 AM (IST)
सत्ता के गलियारे से : अब बस 'आप' के चेहरे का इंतजार है
सत्ता के गलियारे से : अब बस 'आप' के चेहरे का इंतजार है

देहरादून, विकास धूलिया। दिल्ली में तीन विधानसभा चुनावों में जोरदार परफारमेंस देने के बाद आम आदमी पार्टी 2022 में उत्तराखंड के सियासी रण में उतरने को ताल ठोक रही है। ऊपरी तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस, इससे बेपरवाह होने का दिखावा कर रहे हैं, मगर सच यह है कि दोनों को भय सता रहा है कि 'आप' की सेंधमारी किसके किले को ढहाएगी। भाजपा राज्य कोर ग्रुप की बैठक में इस पर लंबा मंथन हुआ। एक मंत्री ने एक घंटे तक इस पर गहन विश्लेषण पेश किया। इसका लब्बोलुआब यह कि 'आप' को कतई हलके में नहीं लिया जा सकता। 'आप' को बस एक अदद चेहरे की तलाश है, जिसे सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सके। यह चेहरा किसी सेवानिवृत्त फौजी अफसर, कोई ब्यूरोक्रेट, समाजसेवी, किसी का भी हो सकता है। पार्टी से विद्रोह करने वाले भाजपा या कांग्रेस के किसी बड़े नेता का भी। आप भी लगाइए अंदाजा।

loksabha election banner

सियासी बिसात पर काजी की मस्त कछुआ चाल

उत्तराखंड में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है। स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के निशाने पर सत्तारूढ़ भाजपा होनी चाहिए, मगर पार्टी के सूबाई नेता आपसी खींचतान से ही नहीं उबर पा रहे हैं। पीसीसी मुखिया प्रीतम और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हमजोली हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का दरबार अलग ही सजता है। इन सबके बीच एक युवा नेता ऐसा भी है जो दबे कदम पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल हो चुका है। ये जनाब हैं काजी  निजामुददीन। मंगलौर से विधायक हैं, लेकिन इनका असल प्रोफाइल यह कि काजी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। राजस्थान में पार्टी के अंदरूनी संकट से निबटने में भूमिका निभाने की एवज में पार्टी ने इन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में सहप्रभारी का जिम्मा सौंपा है। अब बिहार चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, मगर साफ दिख रहा है कि काजी तो आलाकमान को राजी कर ही चुके हैं।

मतदाता के नाम पर, कुछ दे दे बाबा

भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटें हासिल की। पार्टी ने मापदंड तो स्थापित कर दिया, लेकिन इससे हुआ यह कि और बेहतर प्रदर्शन की चुनौती अगले चुनाव के लिए खड़ी हो गई। उस पर सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में कोविड 19 महामारी से निबटने के लिए विधायक निधि में बड़ी कटौती का फैसला किया। यानी, चुनावी बेला में जिस तरह विकास कार्यों के नाम पर धन बहाया जाता है, इस दफा वह मुमकिन नहीं। सड़क, बिजली, पानी, नाली के नाम पर आखिरी साल में जो बजट जारी किया जाता था, इस बार कम होगा। अब विधायक सरकार से बीच का रास्ता तलाशने को गुहार लगा रहे हैं। सबकी नजर इस पर टिकी है कि आखिर वह बीच का रास्ता होगा क्या। वैसे सवाल यह भी पूछा जा रहा है, कि क्या पहले तीन साल की विधायक निधि विकास कार्यों पर पूरी खर्च हो गई।

यह भी पढ़ें: विभागों के आला अफसरों के रवैये से खफा भाजपा विधायक, सीएम से बयां करेंगे अपना दर्द

कुर्सी दौड़ में कौन खिलाड़ी और कौन अनाड़ी

स्कूल के दिन याद हैं, तब बच्चों के लिए एक खेल बड़ा प्रचलित था, कुर्सी दौड़। बच्चे ज्यादा, कुर्सी कम और जिसने मौका लपका, वह कुर्सी पर, बाकी बाहर। ऐसा ही कुछ इन दिनों उत्तराखंड में भी चल रहा है, यानी कुर्सी दौड़। कुर्सी महज तीन, खिलाड़ी 46 हैं। दरअसल, मंत्रिमंडल में तीन सीट खाली हैं, दावेदारों में 46 विधायक शुमार हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जिम्मे इतने ज्यादा अहम महकमे हैं, कि उन्हें शायद खुद भी इनकी गिनती नहीं मालूम। अब भले ही अगले विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल ही बचा है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार तय है। मुख्यमंत्री भारी पसोपेश में, कि किन तीन को सीट अलॉट करें। उस पर दावेदारों में पांच ऐसे, जो पहले भी मंत्री रह चुके हैं। मंत्री पद की कतार में शामिल विधायकों में 15 से ज्यादा दो या इससे अधिक बार चुनाव जीत चुके हैं। वाकई में, चयन की दिक्कत तो है।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में टीम त्रिवेंद्र का विस्‍तार, तीन खाली सीटों के लिए 46 विधायक दावेदार; पांच रह चुके हैं मंत्री


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.