Rajaji Tiger Reserve: राजाजी में एक और बाघ सफलतापूर्वक शिफ्ट, पिछले महीने लाया गया था बाघिन को
Rajaji Tiger Reserve राजाजी टाइगर रिजर्व में एक और बाघ को सफलतापूर्वक शिफ्ट किया गया है। इससे पहले 24 दिसंबर को एक बाघिन को यहां शिफ्ट किया जा चुका है। दोनों को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी लाया गया है।
संवाद सूत्र, रायवाला। Rajaji Tiger Reserve राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में एक और बाघ को सफलतापूर्वक शिफ्ट किया गया है। इससे पहले 24 दिसंबर को एक बाघिन को यहां शिफ्ट किया गया था। दोनों बाघों को कार्बेट टाइगर रिजर्व से यहां लाया गया है। शनिवार दोपहर तीन बजे प्रदेश के वन मंत्री की मौजूदगी में बाघ को बाड़े से छोड़ा गया, लेकिन रात तक वह बाड़े से बाहर निकल कर जंगल में नहीं गया।
कार्बेट से वन कर्मियों की टीम शनिवार सुबह करीब आठ बजे विशेष वाहन से बाघ को लेकर मोतीचूर पहुंची, जहां उसे बाड़े में रखा गया। चिकित्सकों की टीम ने बाघ के स्वास्थ्य की जांच की। दोपहर करीब तीन बजे वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की उपस्थिति में बाघ को बाड़े से जंगल के लिए छोड़ने की कोशिश की, लेकिन बाघ बाड़े से बाहर नहीं आया। वन कर्मियों की टीम बाघ पर नजर रखे हुए है। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि बाघ की उम्र करीब छह साल है। वह एकदम स्वस्थ्य है। उसको रेडियो कॉलर लगाया गया है, ताकि बराबर निगरानी की जा सके।
इसके अलावा चरणबद्ध तरीके से अभी तीन और बाघ मोतीचूर शिफ्ट किए जाने हैं। जिनमें दो मादा व एक नर है। दरअसल, मोतीचूर व कांसरों में भी बाघों का कुनबा बढ़ाने की तैयारी है। वन्य जीव विशेषज्ञ इस क्षेत्र को बाघों के लिए बेहतर वासस्थल मानते हैं। इसके लिए कार्बेट से बाघों को यहां शिफ्ट करने की योजना बनाई गई। राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य और मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के बाद अब उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में भी बाघ की सफल शिफ्टिंग की गई है।
वहीं इस दौरान वन मंत्री ने कहा कि राजाजी पार्क में बाघ शिफ्टिंग से न केवल उनकी संख्या में वृद्धि होगी बल्कि प्रदेश सरकार का यह प्रयास वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा ऐसे विभिन्न कार्यों को धरातल पर उतारा जा रहा है। बाघों की संख्या बढ़ने से पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। यहां आने वाले पर्यटकों को हाथी व बाघ एक साथ देखने को मिल सकेंगे।
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