एक पोस्टमार्टम का मेहनताना सिर्फ चार रुपये
जागरण संवाददाता, देहरादून: मौत की गुत्थी सुलझाने में भले ही पोस्टमार्टम की अहम भूमिका होती है, प
जागरण संवाददाता, देहरादून: मौत की गुत्थी सुलझाने में भले ही पोस्टमार्टम की अहम भूमिका होती है, पर सूबे में इस काम को कितनी अहमियत दी जा रही है, उसकी बानगी फार्मेसिस्ट को मिलने वाला भत्ता है। आज भी एक पोस्टमार्टम पर फार्मेसिस्ट को चार रुपये भत्ता दिया जा रहा है। यह मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी का दसवां हिस्सा भी नहीं है। पिछले काफी समय से यह व्यवस्था चली आ रही है पर किसी ने इसमें संशोधन की जरूरत तक महसूस नहीं की। जबकि इसी बीच डॉक्टर व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पोस्टमार्टम भत्ता बढ़ाया जा चुका है।
डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन की रविवार को कचहरी परिसर स्थित डिप्लोमा इंजीनियर संघ में बैठक आयोजित की गई। जिसमें विभिन्न लंबित मसलों पर चर्चा की गई। प्रातीय अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार ने कहा कि तमाम वेतन-भत्तों में इजाफा हुआ, लेकिन फार्मेसिस्ट के भत्ते आज भी यूपी के तर्ज पर ही दिए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में तैनात फार्मेसिस्ट की स्थिति यह है कि पोस्टमॉर्टम भत्ते के तौर पर उन्हें चार रुपये दिए जाते हैं। जबकि डॉक्टर व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के भत्ते बढ़ चुके हैं। उत्तर प्रदेश के समय डॉक्टर और चतुर्थ श्रेणी कर्मी को 10 और 4 रुपये भत्ता मिलता था। जिन्हें उत्तराखंड सरकार ने बढ़ाकर 500 और 150 रुपये कर दिया। जबकि फॉर्मेसिस्ट के भत्तों में कोई इजाफा नही किया गया। उन्होंने 300 रुपये पोस्टमार्टम भत्ता देने की मांग की।
पंवार ने कहा कि संवर्ग का पुर्नगठन न होने से संवर्ग के उच्च पदों पर पदोन्नति नहीं हो पा रही है, जबकि पद रिक्त हैं। शासन एवं विभागीय स्तर पर डीपीसी समय पर नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि फार्मेसिस्टों को पेशेंट केयर भत्ता देने के लिए शासन से वित्तीय स्वीकृति मिलने पर शासनादेश अभी तक नहीं हो पाया है। दुर्गम क्षेत्रों में कार्य करने वाले कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह दुर्गम भत्ता देने की मांग भी उन्होंने की। उन्होंने कहा कि सोमवार को इन प्रकरण पर स्वास्थ्य महानिदेशक से मुलाकात की जाएगी।
बैठक में प्रातीय महामंत्री आरएस ऐरी, कार्यकारी अध्यक्ष एससी पोखरिया, संगठन मंत्री डीसी जोशी, प्रातीय संरक्षक सीएस मेहरा, बीएस कलूड़ा, बीएस पयाल, जिला अध्यक्ष सुधा कुकरेती आदि मौजूद रहे।