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अतिथि शिक्षकों के लिए खुशखबरी, 30 अंकों तक वेटेज देने पर विचार

सरकारी विद्यालयों में पहले से कार्यरत रहे अतिथि शिक्षकों को सरकार कुल 30 अंकों तक वेटेज देने पर विचार कर रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 04:31 PM (IST)
अतिथि शिक्षकों के लिए खुशखबरी, 30 अंकों तक वेटेज देने पर विचार
अतिथि शिक्षकों के लिए खुशखबरी, 30 अंकों तक वेटेज देने पर विचार

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकारी विद्यालयों में पहले से कार्यरत रहे अतिथि शिक्षकों के लिए खुशखबरी। सरकार उन्हें कुल 30 अंकों तक वेटेज देने पर विचार कर रही है। वर्षो से शिक्षण का अनुभव रखने वाले ये शिक्षक वेटेज के बूते नए अभ्यर्थियों के साथ नियुक्ति की दौड़ में आगे नजर आ सकते हैं। वहीं अतिथि शिक्षकों को तैनाती के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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चालू माह के आखिरी तक विद्यालयों में रिक्त पदों पर उन्हें तैनाती मिल जाएगी। अतिथि शिक्षक राज्य के दूरदराज क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन का जिम्मा संभाले हुए हैं। शिक्षकों के रिक्त पदों पर कार्यरत रहे इन अतिथि शिक्षकों को हाईकोर्ट राहत और झटका दोनों ही दे चुका है। राहत ये है कि रिक्त पदों पर नियमित होने तक अतिथि शिक्षकों की अस्थायी तौर पर नियुक्ति करने को हाईकोर्ट अनुमति दे चुका है, साथ ही इन नियुक्तियों में सभी को समान अवसर मिले, इसके लिए अतिथि शिक्षकों को अब मनमाफिक तरीके से संविदा विस्तार नहीं मिलेगा।

इन्हें नए अभ्यर्थियों के साथ नियुक्ति के लिए ऑनलाइन मुकाबला करना होगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से उक्त संबंध में प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को नियुक्ति के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। विद्यालयों में पठन-पाठन सुचारू करने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले से कार्यरत रहे अतिथि शिक्षकों को लेकर सरकार का रुख सकारात्मक है। अनुभव के आधार पर वेटेज अंक दिए जाएंगे। अधिकतम 30 अंकों का लाभ उन्हें मिल सकेगा। यह कसरत अब अंतिम दौर में है।

बीमार शिक्षकों के तबादलों को सरकार से लेंगे अनुमति

सरकार से दो दफा तबादलों की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मिलने के बावजूद शिक्षा महकमे में न तो गंभीर बीमारी से पीड़ित, वर्षो से दुर्गम क्षेत्रों में जमे और जरूरतमंद शिक्षकों को तबादलों में राहत नहीं मिल पाई है, वहीं शिक्षाधिकारियों की तबादला सूची भी शासन के गलियारों में फंसकर रह गई है। अब शिक्षक संघों की ओर से गंभीर बीमार शिक्षकों को तबादलों में राहत देने का दबाव बढ़ने पर महकमा एक बार फिर तबादलों के लिए मोहलत मांगने को मुख्य सचिव के दर पर दस्तक देगा।

राज्य में तबादला एक्ट लागू हो चुका है, लेकिन एक्ट को अंजाम देने में शिक्षा महकमे के दम फूल रहे हैं। खासतौर पर प्राथमिक शिक्षकों की अंतर्जनपदीय और माध्यमिक शिक्षकों की अंतर्मडलीय तबादलों की कसरत अभी तक अधूरी है। इसीतरह शिक्षाधिकारियों के तबादलों के लिए तैयार की गई सूची भी सिर्फ फाइलों तक सिमटकर रह गई है। शिक्षा मंत्रालय लंबे समय से गंभीर बीमारी से पीड़ित शिक्षकों को तबादलों में राहत देने की मंशा कई बार जता चुका है, लेकिन ये मंशा हकीकत नहीं बन पाई है।

हालांकि, लेटलतीफी के चलते अंजाम तक नहीं पहुंच पाई तबादला प्रक्रिया के लिए अब तक दो बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है। महकमे के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव तबादलों के लिए समय बढ़ाने पर हामी भर चुके हैं। यह सीमा भी बीते माह खत्म हो चुकी है। गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षकों को तबादलों में राहत दिलाने को लेकर विभाग पर दबाव एक बार फिर बढ़ गया है। ऐसे शिक्षकों को अस्पतालों के इर्द-गिर्द स्कूलों में तैनाती देने पर मंथन किया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि काफी संख्या में बीमारियों से जूझ रहे शिक्षकों के तबादलों के प्रस्ताव मिले हैं। ऐसे मामलों में सहानुभूति का रवैया अपनाया जाएगा। ऐसे तबादलों के लिए एक बार फिर अनुमति ली जाएगी। मुख्य सचिव को महकमे की ओर से प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। उधर, सूत्रों की मानें तो करीब दो सौ से ज्यादा गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों को तबादलों में राहत देने पर विचार किया जा रहा है। वहीं शिक्षाधिकारियों की तबादला सूची जारी होने को लेकर संशय बरकरार है। एक्ट के मुताबिक तबादले करने को लेकर महकमे और मंत्रालय, दोनों स्तर पर हिचक बनी हुई है।

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