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सूरज की रोशनी पड़ते ही सोने की तरह दमक उठते हैं इस पक्षी के पंख, पर्यटकों को कर रहे आकर्षित

Rudy Shelduck उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड में प्रवासी परिदों की संख्या में बढोत्तरी से चहचहाहट भी बढ़ गई है। ठंड बढ़ने के साथ ही देशी-विदेशी परिदों की प्रजातियों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 01:42 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 01:42 PM (IST)
सूरज की रोशनी पड़ते ही सोने की तरह दमक उठते हैं इस पक्षी के पंख, पर्यटकों को कर रहे आकर्षित
सूरज की रोशनी पड़ते ही सोने की तरह दमक उठते हैं इस पक्षी के पंख।

विकासनगर(देहरादून), जेएनएन। Rudy Shelduck देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व और उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड में प्रवासी परिदों की संख्या में बढोत्तरी से चहचहाहट भी बढ़ गई है। ठंड बढ़ने के साथ ही देशी-विदेशी परिदों की प्रजातियों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। आसन वेटलैंड में प्रवासी परिंदों की संख्या दो हजार के करीब आंकी गई। सबसे ज्यादा संख्या सुर्खाब यानि रुडी शेलडक की है।

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आसन झील में परिंदों की चह-चह पक्षी प्रेमियों को काफी भा रही है। आसन में मड टापू पर सूर्य की रोशनी में सोने से दमकते पंखों के कारण सुर्खाब सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। चकराता वन प्रभाग ने आसन नमभूमि के अलावा यमुना के किनारे पर भी निगरानी बढ़ा दी है, जिससे प्रवासी परिंदों का शिकारी शिकार न कर सके।

आसन नमभूमि क्षेत्र में ठंड बढ़ने के साथ ही प्रवास पर आने वाले देशी विदेशी प्रजातियों के परिंदे भी बढ़ रहे हैं। आसन नमभूमि क्षेत्र में इंडियन पांड हेरोन, पर्पल हेरोन, ब्लैक विंग्ड सिल्ट, कामन कूट, कामन पोचार्ड, टफ्टेड, रुडी शेलडक, हार्नबिल, रेड क्रसटेड, मलार्ड, गैडवाल, ग्रे हेरोन, लिटिल ग्रेब, स्पाट बिलडक, किगफिशर, इंडियन कोरमोरेंट, ग्रेट कोरमोरेंट आदि प्रजातियों के परिंदे प्रवास पर आते हैं।

वर्तमान में 14 प्रजातियों के परिंदों में सबसे अधिक संख्या सुर्खाब की है। आसन नमभूमि क्षेत्र में परिंदों का कलरव बढ़ने से पक्षी प्रेमी भी उत्साहित हैं। आसन पर्यटन स्थल पर आने वाले पर्यटकों में प्रवासी परिंदों के बारे में जानने की जिज्ञासा शांत करने को प्रभाग ने अभी तक नेचर गाइड नहीं रखे हैं और न ही वन विभाग का कोई विशेषज्ञ कर्मचारी ही तैनात है। इससे पक्षी प्रेमियों को प्रवासी परिंदों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में बहुत से पर्यटक बिना जिज्ञासा शांत किए ही वापस लौटने को मजबूर हैं।

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