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Apple Production: जौनसार में सेब तुड़ान शुरू, उत्पादन घटने से बागवान बेहद मायूस

ऊंचाई वाले इलाकों में सेब तुड़ान कार्य शुरू हो गया है। बागवानी से जुड़े कई ग्रामीण पिछले बार के मुकाबले इस बार सेब उत्पादन काफी घटने से मायूस हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 05:31 PM (IST)
Apple Production: जौनसार में सेब तुड़ान शुरू, उत्पादन घटने से बागवान बेहद मायूस
Apple Production: जौनसार में सेब तुड़ान शुरू, उत्पादन घटने से बागवान बेहद मायूस

चकराता(देहरादून), जेएनएन। जौनसार-बावर के मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब तुड़ान कार्य शुरू हो गया है। बागवानी से जुड़े कई ग्रामीण पिछले बार के मुकाबले इस बार सेब उत्पादन काफी घटने से मायूस हैं। कम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब उत्पादन सामान्य रहा है। वहीं, उद्यान विभाग ने त्यूणी और चौसाल सचल केंद्र से जुड़े बागवानों को शुरुआती चरण में 18 हजार से अधिक सेब की पेटियां बांटी हैं।

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बाजार में उत्तराखंड का एप्पल अब अपने नाम और मार्का से बिक रहा है। देहरादून जिले के सबसे अधिक सेब उत्पादन वाले सीमांत त्यूणी व चकराता तहसील से जुड़े बावर, देवघार, शिलगांव, फनार, लखौ, कंडमाण, भरम, मशक, बाणाधार, कथियान, कैलोऊ खत समेत आसपास की पहाड़ी के मध्यम ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में सीजन शुरू होने से सेब तुड़ान कार्य चल रहा है। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सेब तुड़ान कार्य सितंबर माह के शुरुआत में शुरू होगा। क्षेत्र के मध्यम और कम ऊंचाई वाले इलाकों में स्पर के साथ ही अन्य प्रजाति के सेब की अच्छी पैदावार होती है। 

ग्रामीण बागवानों की माने तो इस बार मौसम के साथ नहीं देने से मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब उत्पादन पिछले बार के मुकाबले इस बार 40 से 50 फीसद कम हुआ। देवघार खत के मेघाटू निवासी बागवान केवलराम जिनाटा, पूर्व प्रधान धनीराम शर्मा और दुर्गादत्त शर्मा ने बताया कि पिछले बार सीजन में उनकी आठ सौ से एक हजार के बीच सेब की पेटियां बनी। लेकिन इस बार उनकी सिर्फ चार से पांच सौ के बीच सेब की पेटियां निकली। इससे भी बुराहाल बावर-शिलगांव खत से जुड़े ओवरासेर, चौसाल, कथियान, बागी, खादरा, निनुस, पुरटाड़, डिरनाड़ समेत आसपास के इलाकों के ग्रामीण बागवानों का है। 

ओलावृष्टि प्रभावित इन इलाकों में क्षेत्र के बड़े बागवानों में शुमार बृनाड़-बास्तील निवासी पूर्व अध्यक्ष जिलापंचायत चमन सिंह ने बताया कि पिछली बार करीब तीन हजार सेब की पेटियां बनी थी, लेकिन इस बार फ्लोरिंग के बाद बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण सेब उत्पादन बुरी तरह प्रभावित रहा। ओलावृष्टि की मार के चलते पिछले बार के मुकाबले बड़े बागवानों की मुश्किल से पांच सौ पेटी सेब की निकली। मौसम की मार से बेहाल बागवान राजवीर सिंह राणा और चौसाल निवासी मनीष शाह की पिछले बार आठ से चार सौ के बीच सेब की पेटियां निकली, लेकिन इस बार उनकी सेब पेटी सिर्फ सौ से डेढ़ के बीच निकली। 

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भाटगढ़ी निवासी बागवान और पूर्व प्रधान लायकराम शर्मा, बागवान दीवानचंद, इंद्र सिंह, भगवत निवासी बरजीत सिंह जिनाटा आदि के यहां पिछले बार पांच से सात सौ के बीच सेब की पेटियां निकली। जबकि इस बार इनकी दो से तीन सौ के बीच सेब पेटी बनी। इसके अलावा क्षेत्र के कम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब उत्पादन सामान्य रहा। वहीं, वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक आरपी जसोला का कहना है कि विभाग ने क्षेत्र के कई बागवानों को शुरुआती चरण में पचास फीसद रियायती दर पर कोरोगेटेड बॉक्स यानि सेब की पेटियां उपलब्ध कराई है। इसके अलावा सेब की अन्य पेटियां डिमांड के आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी। 

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