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मनपसंद पाठ्यक्रम न मिलने से युवा नाखुश

पछवादून के विकासनगर में उच्च शिक्षण संस्थानों में मनपसंद पाठ्यक्रम न मिलने से छात्र बेहद निराश हैं। स्थिति ये है कि उनको बारहवीं करने के बाद मजबूरन अपनी इच्छा के विपरीत पढ़ाई करनी पड़ रही है। इस संकट के चलते कई विद्यार्थी घर से दूसरे शहरों का रुख कर रहे हैं। यहां मौजदू एकमात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में भी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 10:51 PM (IST)
मनपसंद पाठ्यक्रम न मिलने से युवा नाखुश

संवाद सहयोगी, विकासनगर: पछवादून के विकासनगर में उच्च शिक्षण संस्थानों में मनपसंद पाठ्यक्रम न मिलने से युवा बेहद निराश हैं। स्थिति ये है कि उनको बारहवीं करने के बाद मजबूरन अपनी इच्छा के विपरीत पढ़ाई करनी पड़ रही है। इस संकट के चलते कई विद्यार्थी घर से दूसरे शहरों का रुख कर रहे हैं। यहां मौजदू एकमात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में भी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं।

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उत्तराखंड बनने के बाद विकासनगर ने विस्तार के हिसाब से काफी तरक्की की। प्रदेश बनने बाद जहां पूरे क्षेत्र की आबादी बेतहाशा बढ़ी वहीं बाजार, रिहायशी कालोनियों को काफी विस्तार हुआ। लेकिन उच्च शिक्षा के मामले में विकासनगर कुछ खास तरक्की नहीं कर पाया। डाकपत्थर स्थित एक डिग्री कॉलेज के अलावा यहां के बच्चों के पास पढ़ाई के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है। विभिन्न कक्षाओं में मात्र 600 सीट वाले इस कॉलेज में हर साल दो हजार से ज्यादा बच्चे इंटर कक्षा पास करने के बाद दाखिले के लिए फार्म भरते हैं, लेकिन प्रवेश 600 बच्चों को ही मिल पाता है। इसके बाद कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण अधिकतर बच्चों को सेलाकुई, देहरादून व अन्य इलाकों में मजबूरन अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए घर छोड़ना पडता है। छात्र नेता मोहित जैन, एमएससी की छात्रा याशिका सचदेवा, सोनी खान का कहना है कि विषयों की कमी के चलते प्रत्येक वर्ष इंटर पास करने वाले छात्र-छात्राओं की 75 प्रतिशत संख्या के सामने शिक्षा हासिल करने का कोई विकल्प यहां मौजूद नहीं है।

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व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध नहीं

विकासनगर: क्षेत्र में एक भी व्यवसायिक शिक्षा का संस्थान नहीं होने के चलते बच्चों की कुछ अलग करने की इच्छा बेकार की कोशिश है। यदि बच्चों को सामान्य पढ़ाई के अलावा कोई अच्छा कोर्स करने की इच्छा है तो उन्हें विकासनगर से बाहर जाना ही होता है। और तो और सामान्य शिक्षा में भी एमए, एमएससी में विषयों की कमी के चलते मनमर्जी के विषय की पढ़ाई बच्चे नहीं कर सकते। इसके अलावा समय के हिसाब से रोजगारपरक विषयों की अनुपलब्धता बच्चों के करियर को प्रभावित कर रही है।

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विकासनगर क्षेत्र में स्थापित किए गए डाकपत्थर डिग्री कॉलेज में सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष कुछ न कुछ विस्तार किया जाता रहा है। काफी हद तक एमए, एमएससी की पढाई यहां हो रही है। जो विषय महाविद्यालय में फिलहाल मौजूद नहीं हैं, उनके बारे में भी शासन स्तर पर बात की जाएगी। जहां तक बात नए पाठ्यक्रमों या व्यवसायिक शिक्षा की है तो इसके बारे में भी शिक्षा क्षेत्र के लोगों से बातचीत करके एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिससे बच्चों को उनकी रुचि के हिसाब से पढ़ाई उपलब्ध हो सके।

-मुन्ना सिंह चौहान, विधायक विकासनगर


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