छात्रवृत्ति घोटाला: एसआइटी ने अनुराग शंखधर पर कसा शिकंजा
दशमोत्तर छात्रवृत्ति के वितरण में घपले के आरोप में घिरे तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर पर शिकंजा कस गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति के वितरण में घपले के आरोप में घिरे तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी (वर्तमान में जनजाति कल्याण निदेशालय में उप निदेशक) अनुराग शंखधर पर शिकंजा कस गया है। घपले की जांच कर रही एसआइटी को शंखधर के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने के बाद अब शासन ने अब उनकी अनुपस्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद उनके खिलाफ निलंबन अथवा अन्य कदम उठाए जाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
करोड़ों के छात्रवृत्ति घपले में घिरे जनजाति कल्याण निदेशालय के उपनिदेशक शंखधर पर विभागीय अधिकारियों की कृपा भी बरसती रही है। लोस चुनाव की आचार संहिता के बावजूद उन्हें दी गई 40 दिन की छुट्टी इसकी तस्दीक करती है। यह अवधि 20 अप्रैल को खत्म होने के बावजूद वह अनुपस्थित चल रहे हैं। हालांकि, घपले में शंखधर का नाम भी सामने आने के बाद उन्हें पत्र भेजने के साथ ही उपस्थिति के लिए सार्वजनिक सूचना भी दी गई, मगर वह डयूटी पर उपस्थित नहीं हुए।
जनजाति कल्याण निदेशालय के निदेशक गत दिवस इस बारे में शासन को पत्र भेजकर कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश मांगा। अपर सचिव समाज कल्याण रामविलास यादव के अनुसार निदेशक का यह पत्र उन्हें मिल गया है। उन्होंने बताया कि शंखधर की अनुपस्थिति के संबंध में पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। एसआइटी को पहले ही शंखधर के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति शासन से दी जा चुकी है।
घोटाले में बैंकों की भूमिका पर सवाल
करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज संचालक, अधिकारी ही नहीं बल्कि बैंकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। घोटालेबाजों ने जिस तरह से चुनिंदा बैंकों में फर्जी खाते खोले, उनके सत्यापन से बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। एसआइटी ने दून और हरिद्वार के ऐसे बैंकों की सूची जुटानी शुरू कर दी है।
छात्रवृत्ति घोटाले में 2012 से 2017 के बीच बांटी गई करोड़ों की छात्रवृत्ति में जमकर खेल हुआ है। कॉलेज संचालकों ने तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर से मिलीभगत कर यह खेल किया है। इस मामले में शंखधर के खिलाफ गबन, भ्रष्टाचार में एसआइटी ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। एसआइटी के प्रभारी आइपीएस मंजूनाथ टीसी ने कहा कि अभी तक शंखधर सामने नहीं आया है। इधर, एक-एक कॉलेज को फर्जी छात्र-छात्रओं के नाम 10 से 20 करोड़ तक की छात्रवृत्ति बांटने, एक ही बैंक में खाता खोलने, बैंक में जमा करने के बाद रकम दूसरे खातें में ट्रांसफर करने जैसे मामलों को भी एसआइटी ने जांच में शामिल कर दिया है। इसके लिए संबंधित बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि रुड़की क्षेत्र के तीन और दून के दो बैंकों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं।
शंखधर के करीबी रडार पर
छात्रवृत्ति घोटाले में हरिद्वार और देहरादून में लंबे समय तक तैनात रहे उप निदेशक अनुराग शंखधर के करीबी भी एसआइटी की रडार पर आ गए हैं। शंखधर के साथ इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है, इसकी जांच कराई जाएगी। इसमें विभागीय बाबू से लेकर शासन के उच्च अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी जांची जा रही है। इसके लिए एसआइटी ने समाज कल्याण से मिली फाइलों को खंगालने का काम शुरू कर दिया है। एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने कहा कि जिसके खिलाफ भी सबूत मिलेंगे, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
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