दून-हरिद्वार राजमार्ग निर्माण पर बैंकों की हामी का इंतजार
वर्ष 2010 से लटका हरिद्वार-दून राजमार्ग का चौड़ीकरण सितंबर माह में दो निर्माण कंपनियों के चयन के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इस ममले में बैंकों की हामी का इंतजार है।
देहरादून, जेएनएन। वर्ष 2010 से लटका हरिद्वार-दून राजमार्ग का चौड़ीकरण सितंबर माह में दो निर्माण कंपनियों के चयन के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। मामला उन बैंकों की हामी के इंतजार में लटका है, जिनसे पूर्व की निर्माण कंपनी एरा इंफ्रा ने ऋण लिया था। कंपनी ने बैंकों से करीब 736 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
बैंक यह चाहते हैं कि काम छीने जाने तक एरा इंफ्रा ने जितना काम किया है, उसका भुगतान उन्हें कर दिया जाए। यह राशि करीब 306 करोड़ रुपये बैठ रही है। हालांकि बैंक इस पर भी सहमत हैं, मगर उनकी तरफ से लिखित में सहमति पत्र दिया जाना बाकी है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने राजमार्ग को फोर-लेन बनाने का काम एरा इंफ्रा को बीओटी (बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर) मोड में दिया था। यानी कि निर्माण की लागत कंपनी को स्वयं वहन करनी थी और इसके एवज में कंपनी को टोल टैक्स से आय अर्जित करनी थी। साथ ही 20 साल तक सड़क का रखरखाव भी करना था।
कई डेडलाइन के बाद भी कंपनी काम पूरा नहीं कर पाई और प्राधिकरण को उसे बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। इसके बाद जब एनएचएआइ ने एरा इंफ्रा के काम का आकलन किया तो पता चला कि 306 करोड़ रुपये का काम हो चुका है और करीब 500 करोड़ रुपये का काम शेष है।
बचे हुए काम को पूरा करने के लिए प्राधिकरण ने अगस्त माह में टेंडर प्रक्रिया शुरू की और सितंबर में यूपी बिल्ट कॉरपोरेशन और एटलस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. का चयन कर लिया।
हरिद्वार से लालतप्पड़ तक का काम यूपी बिल्ट करेगी, जबकि इससे आगे मोहकमपुर तक चौड़ीकरण कार्य का जिम्मा एटलस के पास रहेगा। तय किया गया था कि दिसंबर माह से काम शुरू कर दिया जाएगा, मगर इससे पहले ही लीड बैंक बैंक ऑफ इंडिया समेत करीब आधा दर्जन बैंकों ने अपना कर्ज फंसा होने का हवाला देते हुए पेच फंसा दिया।
प्राधिकरण के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाईं का कहना है कि जितना काम एरा इंफ्रा ने किया है, उसकी राशि बैंकों को लौटा दी जाएगी। बैंकों ने भी इस पर हामी भरी है, हालांकि जब तक उनकी तरफ से लिखित में स्वीकृति नहीं मिल पाती, तब तक चयनित कंपनियों के साथ अनुबंध संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि अनुबंध के बाद तैयारी के लिए दोनों कंपनी को एक माह का समय दिया जाएगा। काम शुरू होने के बाद काम पूरा करने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा।
परियोजना में यह होंगे बड़े काम
- एलीफैंट कॉरीडोर अंडरपास (लालतप्पड़ व तीन पानी)
- रेलवे अंडरब्रिज (मोतीचूर)
- मेजर ब्रिज (मोतीचूर)
- तीन एलीफैंट अंडरपास (लालतप्पड़, तीन पानी, मोतीचूर)
- वेक्यूलर अंडरपास (भानियावाला)
मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग पर बैंकों को जिम्मा
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक के मुताबिक, मुजफ्फरनगर-हरिद्वार के बीच करीब 80 किलोमीटर भाग पर अवशेष चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने के लिए बैंक ही कॉन्ट्रैक्टर मुहैया कराएंगे। अनुबंध में ऐसी शर्त थी कि यदि किसी कारण से चयनित कंपनी से काम वापस ले लिया जाता है तो संबंधित बैंक (ऋण मुहैया कराने वाले) नए कॉन्ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं, ताकि उनका पैसा डूबे नहीं। इस भाग पर काम की प्रगति करीब 72 फीसद है।
आइएसबीटी पर नए फ्लाईओवर पर जनवरी से आवाजाही
आइएसबीटी के पास वाई शेप फ्लाईओवर एक गार्डर निर्माण में देरी से अटका पड़ा है। इससे फ्लाईओवर पर आवाजाही अब जनवरी के बाद ही शुरू हो सकेगी। पहले मुख्यमंत्री ने दिसंबर अंत तक इस पर आवाजाही कराने की बात कही थी। लेकिन, निर्माण की धीमी गति से यह संभव नहीं हो पाया। विभाग का दावा है कि जनवरी अंत तक कार्य पूर्ण कर इसे शुरू कर दिया जाएगा।
आइएसबीटी क्षेत्र में जाम से निजात दिलाने को पूर्व निर्मित फ्लाईओवर के साथ जोड़कर वाई शेप में एक नया फ्लाईओवर प्रस्तावित था। इस पर 2017 में काम शुरू हुआ तो विभाग ने एक साल के भीतर बनाने का दावा किया था। मगर, डेढ़ साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी फ्लाईओवर का काम पूरा नहीं हो सका। स्थिति यह है कि पिछले छह माह से एक गार्डर चढ़ाने का काम अटका हुआ है।
हालांकि, फ्लाईओवर लगभग पूरी तरह तैयार है, लेकिन पुराने फ्लाईओवर से जोड़ने वाला गार्डर न चढ़ पाने के कारण इस पर आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। हद तो यह है कि मुख्यमंत्री ने डाटकाली सुरंग और मोहकमपुर आरओबी के लोकार्पण के दौरान दिसंबर में आइएसबीटी फ्लाईओवर पर भी आवाजाही कराने की बात कही थी। लेकिन, अफसरों की लापरवाही से यहां निर्माण कार्य सुस्त रफ्तार से चल रहा है।
अब अफसर जनवरी अंत तक आवाजाही कराने का दावा कर रहे हैं। 20 करोड़ से ज्यादा खर्च आइएसबीटी में वाई शेप फ्लाईओवर निर्माण के लिए 29 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ था। इसमें से 20 करोड़ निर्माण पर खर्च हो गए हैं। पांच करोड़ से ज्यादा के बिल स्वीकृति के लिए लगे हैं। लेकिन, अभी काम 20 फीसद बाकी है।
नेशनल हाईवे के चीफ इंजीनियर हरिओम शर्मा के अनुसार करीब पांच सौ मीटर लंबे इस फ्लाईओवर निर्माण में डेढ़ साल का समय लगने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। फ्लाईओवर का काम अंतिम चरणों में है। बजट की कोई कमी नहीं है। एक गार्डर चढ़ाया जाना शेष रह गया है। अगले माह तक आवाजाही कराए जाएगी।
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