नींद से जागा प्रशासन, जाना कुपोषित बच्चों का हाल
जागरण संवाददाता, देहरादून: भले ही देहरादून जनपद देश के शीर्ष कुपोषित जनपदों में शामिल न हो, लेकिन यह
जागरण संवाददाता, देहरादून: भले ही देहरादून जनपद देश के शीर्ष कुपोषित जनपदों में शामिल न हो, लेकिन यहां भी कुपोषण का वायरस बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। इस पर जिला प्रशासन ने कुपोषित बच्चों वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को चिह्नित कर जिला व खंड स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी तो सौंपी, लेकिन स्वयं सुध लेना भूल गए। दैनिक जागरण ने जब दून में पनप रहे कुपोषण के वायरस को गंभीरता से लेते हुए खबर प्रकाशित की, तब जाकर प्रशासन जागा। देर से ही सही, आखिरकार प्रशासन को कुपोषित बच्चों की याद तो आई।
मंगलवार को देहरादून के जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने अमरनाथ कॉलोनी (रेसकोर्स) के आंगनबाड़ी केंद्र में कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों की स्थिति जानीं तो वहां 14 कुपोषित व दो अति कुपोषित बच्चे मिले। इस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं से बच्चों के पोषण आहार का विशेष से ध्यान रखने को कहा। उन्होंने टेक होम राशन व पोषण आहार योजना की भी समीक्षा की। बाद में जिलाधिकारी ने आंगनबाड़ी केंद्र सुंदरवाला में बच्चों की स्थिति जांची तो वहां मौजूद बच्चों की संख्या देख वह फिर नाराज दिखे। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से स्थानीय बच्चों को केंद्र से जोड़ने के लिए कहा। वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र ईश्वर विहार में भी कम संख्या में बच्चे मिले।
बता दें कि 'दैनिक जागरण' की ओर से प्रकाशित खबर में देहरादून जनपद में कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों की दयनीय स्थिति को उठाया गया था। इसमें बताया था कि जनपद में कुल 1143 बच्चें कुपोषित एवं अतिकुपोषित हैं। इनमें 1076 कुपोषित व 67 अतिकुपोषित बच्चे हैं। इस पर जिलाधिकारी ने जनपद में न्यूनतम पांच कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों वाले 115 केंद्रों को चिह्नित कर उनकी जिम्मेदारी जिला व खंड स्तर के अधिकारियों को सौंपी थी। हालांकि, जिम्मेदारी तय होने के बावजूद कुपोषित बच्चों की सुध नहीं ली जा रही थी। अब डीएम ने गंभीरता दर्शाते हुए निरीक्षण बच्चों की स्थिति जानी है।