Move to Jagran APP

टूटे स्प्रिंग पर दौड़ती रही शताब्दी

जागरण संवाददाता, देहरादून: नई दिल्ली से सोमवार दोपहर देहरादून आ रही शताब्दी एक्सप्रेस बड़े हादसे क

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Dec 2017 09:32 PM (IST)Updated: Mon, 11 Dec 2017 09:32 PM (IST)
टूटे स्प्रिंग पर दौड़ती रही शताब्दी
टूटे स्प्रिंग पर दौड़ती रही शताब्दी

जागरण संवाददाता, देहरादून: नई दिल्ली से सोमवार दोपहर देहरादून आ रही शताब्दी एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार होने से बच गई। ट्रेन के सी-11 कोच के डेस्कपोट का हेलीकल स्प्रिंग टूटा हुआ था और उसी पर ट्रेन दून पहुंच गई। जब यहां मेंटेनेंस स्टॉफ ने बोगी चेक की तो सच्चाई सामने आई। जिसके बाद आनन-फानन में रवाना होने वाली ट्रेन से इस कोच को हटा दिया गया। इस कोच के यात्री दूसरे कोचों में शिफ्ट किए गए। तकनीकी जानकारों की मानें तो यदि उसी स्थिति में ट्रेन रवाना कर दी जाती तो डोईवाला तक का सफर करना भी मुश्किल रहता। शुक्र है कि वक्त रहते लापरवाही पकड़ में आ गई।

loksabha election banner

लगातार हो रहे रेल हादसों के बावजूद रेलवे की कार्यप्रणाली सुधरने का नाम नहीं ले रही। सोमवार को शताब्दी एक्सप्रेस का मामला बड़ी लापरवाही का ही नतीजा है। गनीमत रही कि ट्रेन और यात्री सकुशल दून पहुंच गए। शताब्दी एक्सप्रेस दोपहर करीब पौने एक बजे दून पहुंचती है और प्लेटफार्म नंबर तीन पर ही खड़ी होती है। दरअसल, इस ट्रेन में 18 कोच आते हैं, जबकि दून आने वाली सामान्य ट्रेनों में 12-13 कोच आते हैं। चूंकि, बाकी प्लेटफार्म की लंबाई छोटी है, लिहाजा शताब्दी का मेंटेनेंस कार्य प्लेटफार्म नंबर तीन पर ही किया जाता है। सोमवार दोपहर ट्रेन आने के बाद मेंटेनेंस स्टॉफ बोगी के नीचे जांच कर रहा था कि तभी देखा कि सी-11 कोच का हेलीकल स्प्रिंग पूरी तरह क्रैक था। तकनीकी स्टॉफ हैरान रह गया कि इस हालात में गाड़ी दून तक कैसे आ गई। उन्होंने तत्काल आला अधिकारियों को सूचना दी।

-----------

ये होता है हेलीकल स्प्रिंग

तकनीकी जानकारों के अनुसार, ट्रेन की बोगी का पूरा लोड हेलीकल स्प्रिंग पर होता है। यह डेस्कपोट के अंदर लगा होता है। अगर यह टूट जाए तो बोगी के साथ ही पूरी ट्रेन डीरेल हो सकती है।

दून में नहीं है ठीक करने की व्यवस्था

जिस कोच में यह समस्या आई, वह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच है। रेलवे के मुताबिक, इस कोच में झटके कम लगते हैं और सफर आरामदायक रहता है। विडंबना ये है कि इस कोच को ठीक करने की पूरी व्यवस्था दिल्ली में है। इसी वजह से कोच को देहरादून में ठीक नहीं किया जा सका। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली से तकनीकी स्टॉफ आएगा, तभी कोच दुरुस्त किया जाएगा। तब तक यह कोच देहरादून में ही खड़ा रहेगा। देहरादून में एलएचबी के एक्स्ट्रा कोच की भी व्यवस्था नहीं है। इसलिए ट्रेन में एक्स्ट्रा कोच नहीं जोड़ा जा सका।

दूसरे कोच में शिफ्ट किए यात्री

सी-11 कोच में जाते हुए 70 सीट बुक थीं, जबकि इस कोच में 78 यात्रियों के बैठने की क्षमता होती है। बताया गया कि दूसरे कोचों में करीब 90 सीटें खाली थीं। इसलिए उनमें यात्रियों को शिफ्ट किया गया। वहीं, कोच हटाने के चलते टिकट बुकिंग के करंट काउंटर बंद करने पड़े। जिससे यात्रियों को असुविधा हुई।

नहीं टूट रही रेलवे की नींद

खतौली में अगस्त में हुए भीषण रेल हादसे के बावजूद भी रेलवे प्रशासन की लापरवाही लगातार सामने आ रही है। इस हादसे के बाद रेलवे ने जगह-जगह रेलवे ट्रैक की मरम्मत का काम तो शुरू कराया, मगर ट्रेनों की देखरेख पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। रविवार को भी डोईवाला में रेलवे स्टेशन में अचानक सिग्नल फेल होने से शताब्दी एक्सप्रेस को करीब दस मिनट तक स्टेशन पर रोकना पड़ा था। इतना ही नहीं, डोईवाला स्टेशन पर कुछ दिन पहले पटरी के दो नटबोल्ट गायब मिले थे। पटरी पार कर रहे दो राहगीरों ने सूझबूझ दिखाते हुए नटबोल्ट गायब होने की सूचना स्टेशन पर देकर किसी भी अनहोनी को टाल दिया था, पर रेलवे की कार्यप्रणाली सुधर नहीं रही।

-----------

'मेंटेनेंस स्टॉफ को चेकिंग में हेलीकल स्प्रिंग टूटा हुआ मिला। इसके बाद कोच हटा दिया गया। कोच में जाने वाले सभी यात्रियों को दूसरे कोचों में शिफ्ट कर नई दिल्ली रवाना कर दिया गया।'

- सीताराम, स्टेशन उपाधीक्षक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.