Move to Jagran APP

पहाड़ के लिए हो पहाड़ के संसाधनों का दोहन

जागरण संवाददाता, देहरादून: 'दून लिटरेचर फेस्ट-2017' का शुक्रवार को ओएनजीसी ऑफीसर्स क्लब में भव्य शुभ

By Edited By: Published: Fri, 17 Feb 2017 07:25 PM (IST)Updated: Fri, 17 Feb 2017 07:25 PM (IST)
पहाड़ के लिए हो पहाड़ के संसाधनों का दोहन
पहाड़ के लिए हो पहाड़ के संसाधनों का दोहन

जागरण संवाददाता, देहरादून: 'दून लिटरेचर फेस्ट-2017' का शुक्रवार को ओएनजीसी ऑफीसर्स क्लब में भव्य शुभारंभ हुआ। दो दिन चलने वाले इस फेस्टिवल में लिंग समानता, राजनीतिक विचार, राजनीति व साहित्यिक मुद्दों पर चर्चा के लिए देशभर के जाने-माने पैनलिस्ट भाग ले रहे हैं। फेस्टिवल का उद्घाटन सत्र इंटैरोगेटिंग द जेंडर बैरियर पर केंद्रित रहा।

loksabha election banner

फेस्टेवल का उद्घाटन ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता एवं लेखक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किया। इस दौरान आयोजित परिचर्चा में ट्रांसजेंडर लक्ष्मी के अलावा डॉ. विजयलक्ष्मी नंदा, राखी बक्शी व प्रशांत चौहान ने किन्नरों के बहाने समाज की विद्रूपताओं को सामने रखा। लेखक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जब तक हम नैतिकता की चादर ओढ़े रहेंगे, समाज की मनोवृत्ति नहीं बदल सकती। नैतिकता यदि आडंबरों को संरक्षण देती है, तो उसे उखाड़ फेंकने में ही समाज की भलाई है।

द्वितीय सत्र में जल, जंगल, जमीन पर हुई चर्चा में हृदयेश जोशी, लक्ष्मी पंत, सुशील बहुगुणा व त्रेपन सिंह चौहान ने भाग लिया। चर्चा का सार यही था कि पहाड़ के संसाधनों का पहाड़ के हित में ही दोहन होना चाहिए। अन्यथा पहाड़ को उजड़ते देर नहीं लगेगी। त्रेपन सिंह चौहान ने कहा कि पहाड़ में घास काटने वाली महिलाओं को घसियारी कहा जाता है और इस काम को हेय दृष्टि से भी देखा जाता है। जबकि ये महिलाएं कमरतोड़ मेहनत करती हैं और पर्यावरण की सबसे बड़ी संरक्षक भी हैं। इसलिए 'घसियारी' शब्द को सम्मानित किए जाने की जरूरत है। इन महिलाओं को अहसास कराना होगा कि वह कितना अहम काम कर रही हैं।

'लव इज इन द एयर' विषय पर हुई परिचर्चा के बाद लेखक सावी शर्मा ने अपनी नई किताब 'दिस इज नॉट युअर स्टोरी' के बारे में जानकारी दी। राइटिंग फ्रॉम द हिल्स विषय पर हुई चर्चा में किरन मनराल, राहुल भट्ट व मोना वर्मा ने भाग लिया। जबकि, उर्दू भाषा की प्रासंगिकता, पहुंच और वास्तविकता पर डॉ. रख्शंदा जलील, अतुल पुंडीर व डॉ. एमएच फारूखी ने विचार रखे। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा सहज एवं सरल तो है ही, उसकी पहुंच भी व्यापक है। विषय को प्रस्तुत करने की उर्दू जैसी नजाकत अन्य किसी भाषा में नहीं।

फेस्टिवल का अंतिम सत्र हास्य कवि सम्मेलन के नाम रहा। इसका विषय रखा गया था, 'आपके मुंह में घी शक्कर'। कार्यक्रम में आयोजन समिति के राखी बक्शी, प्रियंका भट्टाचार्य, सोनाली सेट्टी, डॉ. विजयलक्ष्मी नंदा, मीनाक्षी सिलावत आदि मौजूद रहे। फेस्टिवल के अंतिम दिन आज भी विभिन्न विषयों पर परिचर्चा होगी।

आकर्षण का केंद्र पुस्तक प्रदर्शनी

फेस्टिवल में पुस्तक प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बनी रही। प्रदर्शनी में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखकों की कई चर्चित पुस्तकें साहित्य प्रेमियों का ध्यान खींच रही हैं।

'रेड लिपिस्टिक' का विमोचन

फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता एवं लेखक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की नई पुस्तक 'रेड लिपिस्टिक' का विमोचन भी हुआ। इससे पहले उनकी आत्मकथा 'मी हिजड़ा' नाम से अंग्रेजी, मराठी, गुजराती और हिंदी में प्रकाशित हो चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.