विश्वविद्यालयों को परिनियमावली का इंतजार
राज्य ब्यूरो, देहरादून प्रदेश के तीन सरकारी विश्वविद्यालय बगैर परिनियमावली के ही घिसट रहे हैं। विश
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश के तीन सरकारी विश्वविद्यालय बगैर परिनियमावली के ही घिसट रहे हैं। विश्वविद्यालय की ओर से परिनियमावली का ड्राफ्ट शासन को सौंपा जा चुका है। फिलहाल शासन के पास इन परिनियमावलियों की सुध लेने की फुर्सत नहीं है।
तकनीकी विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय और हेमवतीनंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को अस्तित्व में आए वर्षो से गुजर चुके हैं, लेकिन उक्त विश्वविद्यालय बगैर नियमावलियों के ही कार्य करने को मजबूर हैं। गाहे-बगाहे ऐसे मौके आ रहे हैं, जिनमें अपनी परिनियमावली नहीं होने का खामियाजा विश्वविद्यालय को भुगतना पड़ा है। आश्चर्यजनक यह भी है कि खुद शासन की ओर से जारी निर्देशों में परिनियमावली की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है। इसके बावजूद सरकार परिनियमावलियोंको मंजूरी देने के बारे में गंभीर नहीं है। विश्वविद्यालयों की ओर से परिनियमावली के मसौदे कई बार शासन को भेजे जा चुके हैं, लेकिन हर बार परीक्षण के नाम पर देरी तो हो रही है, नतीजा नहीं निकल पाया।
राजभवन भी विश्वविद्यालयों की परिनियमावलियों को जल्द तैयार करने की हिदायतें बार-बार दे चुका है। उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालयों के संबंध में राजभवन में होने वाली बैठकों में हामी भरने के बावजूद शासन के आला अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय परिनियमावली का मसौदे को शासन के निर्देश पर संशोधित करने के बाद छह महीने पहले उसे सौंपा चुका है।
बगैर परिनियमावली के चलते विश्वविद्यालयों को विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए चयन समितियों के गठन के साथ ही महत्वपूर्ण संस्थाओं एग्जीक्यूटिव काउंसिल, एकेडमिक काउंसिल, बोर्ड आफ स्टडीज में तकनीकी दिक्कतें पेश आ रही हैं। कुलपति और कुलसचिव के विस्तृत कार्यक्षेत्र, शक्तियों के साथ ही शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सेवा नियमावलियां, आचरण नियमावली, अवकाश समेत तमाम व्यवस्थाओं में परिनियमावली की जरूरत महसूस की जा रही है। विश्वविद्यालय अधिनियमों के मुताबिक विश्वविद्यालय की पहली परिनियमावली सरकार बनाएगी। पहली परिनियमावली के लिए पहल ही परवान नहीं चढ़ पा रही है।