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13 कॉलेजों को मिल ही गए प्राचार्य, अब सुधरेगा बच्चों का भविष्य

उत्तराखंड के तेरह कॉलेजों के दिन अब बहुरने वाले है। आखिरकार अब इन कॉलेजों में प्राचार्यों की तैनाती के आदेश अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रणबीर सिंह ने जारी कर दिए हैं।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sat, 28 Oct 2017 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 28 Oct 2017 11:06 PM (IST)
13 कॉलेजों को मिल ही गए प्राचार्य, अब सुधरेगा बच्चों का भविष्य
13 कॉलेजों को मिल ही गए प्राचार्य, अब सुधरेगा बच्चों का भविष्य

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य के 13 सरकारी डिग्री कॉलेजों का इंतजार खत्म हुआ। इन कॉलेजों में डीपीसी से पदोन्नत हुए प्राचार्यों की तैनाती के आदेश शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रणबीर सिंह ने जारी किए। सरकार ने त्यूणी में आंदोलनरत छात्र-छात्राओं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को दिए गए आश्वासन को पूरा कर दिया। राजकीय डिग्री कॉलेज त्यूणी में प्राचार्य की तैनाती की गई है। 

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सरकारी डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों के 14 पदों के लिए बीते छह अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा डॉ रणवीर सिंह की अध्यक्षता में डीपीसी हुई थी। प्राचार्यों के इन 14 पदों में एक परिणामी रिक्ति का पद भी है। यानी आगामी जनवरी माह में पद रिक्त होने से पदोन्नति सूची से इस पद के लिए तैनाती की जाएगी। 

शासन की ओर से शुक्रवार को जारी आदेशों में पदोन्नत प्राचार्यों डॉ पुष्पेंद्र पांडे को दुर्गनापुरी, डॉ आनंद सिंह को देवीधुरा, डॉ नवनीन रानी राजवंशी को थलीसैंण, डॉ अल्पना जोशी को बेदीखाल, डॉ रेनू रानी को उफरैंखाल, डॉ बच्ची राम पंत को चौबट्टाखाल, डॉ नरेंद्र सिंह बनकोटी को तिलवाड़ी, डॉ अरविंद किशोर तिवारी को बड़कोट, डॉ कैलाशचंद्र दुधपुड़ी को मजरा महादेव, डॉ विजय कुमार अग्रवाल को पोखड़ा, डॉ अंजना श्रीवास्तव को त्यूणी, डॉ केएन बरमोला को घाट और डॉ प्रताप सिंह जग्वाण को गुप्तकाशी में तैनाती दी गई है। 

दरअसल, सरकार प्राचार्य पदों पर पदोन्नति होने के बाद नई तैनाती पर जाने से कन्नी काटने वालों को भविष्य में पदोन्नति का मौका नहीं देने का निर्णय ले चुकी है। इससे पहले बीती छह सितंबर को डीपीसी में पदोन्नत प्राचार्य के 16 पदों पर तैनाती के आदेश जारी हुए थे। इनमें काफी संख्या में नवनियुक्त प्राचार्यों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया था। 13 सरकारी डिग्री कॉलेजों को स्थायी प्राचार्य मिलने में शंका रहने की गुंजाइश न के बराबर मानी जा रही है। 

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