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..तो डाक्टर साहब नहीं चढ़ेंगे 'पहाड़'

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों को अब 115 की बजाय मात्र 35 स

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 01:02 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों को अब 115 की बजाय मात्र 35 से 40 डाक्टर ही मिल सकेंगे। वजह यह है कि पिछले दस साल से लगातार सुगम क्षेत्रों में डटे डाक्टरों को पहाड़ चढ़ाने की राज्य सरकार की कवायद अब ढीली पड़ती दिख रही है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर अब दस की बजाय 14 साल से सुगम क्षेत्र में तैनात डाक्टरों को ही दुर्गम क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की तैयारी है। इसका प्रस्ताव भी तैयार करके स्वास्थ्य मंत्री को अनुमोदन के लिए भेज दिया गया है।

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डाक्टरों को पहाड़ चढ़ाने राज्य सरकार की हर मुहिम अक्सर आधे रास्ते में ही हांफने लगती है। दस साल से सुगम क्षेत्रों में डटे डाक्टरों को दुर्गम क्षेत्रों में ट्रांसफर करने के मामले में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आ रही है। दरअसल, डाक्टरों के लिए लागू स्थानांतरण नीति के तहत शासन ने चालू सत्र में दस वर्ष से सुगम में तैनात डाक्टरों को दुर्गम क्षेत्रों में ट्रांसफर करने की तैयारी शुरू की। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से पूर्व में शासन को प्रस्ताव भेजा गया। शुरुआत में तैयार इस प्रस्ताव में करीब 115 डाक्टर ट्रांसफर की जद में आ रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव उच्च स्तर पर पहुंचा, तो अचानक दस की बजाय 12 साल से सुगम में डटे डाक्टरों को ही स्थानांतरित करने के निर्देश हो गए। अभी 12 वर्ष के आधार पर प्रस्ताव में संशोधन की कसरत शुरू ही हुई थी कि अचानक सुगम में लगातार तैनाती के इस मानक को 12 वर्ष की बजाय 14 वर्ष करने के निर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी हो गए। विभाग ने अब 14 वर्ष सुगम में लगातार तैनाती के आधार पर पुराने प्रस्ताव में ही संशोधन किया है। सूत्र बताते हैं कि इस संशोधित प्रस्ताव के अनुरूप मात्र 35 से 40 डाक्टर ही ट्रांसफर की जद में आ रहे हैं।

यानी, स्थानांतरण नीति के तहत पूर्व में बने प्रस्ताव के मुताबिक जहां दुर्गम क्षेत्रों के अस्पतालों को लगभग 115 डाक्टर मिलने की उम्मीद जगी थी, वहीं अब इन अस्पतालों को सिर्फ 35 से 40 डाक्टर ही मिल पाएंगे। बहरहाल, शासन ने संशोधित प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को अनुमोदन के लिए भेज दिया है। स्वास्थ्य मंत्री के अनुमोदन के बाद इसमें मुख्यमंत्री से भी अनुमोदन लिया जाएगा। बहरहाल, इस मामले में कोई अफसर कुछ टिप्पणी करने को तैयार नहीं है।


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