आइस ¨रक में स्मैश मारते नजर आएंगे शटलर
जागरण संवाददाता, देहरादून: रायपुर में चार सालों से बंद पड़े आइस स्केटिंग ¨रक के दरवाजे आखिरकार खिलाड़ि
जागरण संवाददाता, देहरादून: रायपुर में चार सालों से बंद पड़े आइस स्केटिंग ¨रक के दरवाजे आखिरकार खिलाड़ियों के लिए खुलने जा रहे हैं। यहां आइस स्केटिंग तो नहीं हो रही, लेकिन चार से दस अगस्त तक नेशनल जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट खेला जाएगा। इसके लिए ¨रक के भीतर बने मैदान में बैडमिंटन के छह कोर्ट तैयार किए जाएंगे।
सैफ विंटर गेम्स के लिए 2011 में देहरादून के रायपुर में 110 करोड़ रुपये की लागत से आइस स्केटिंग ¨रग का निर्माण किया गया था। यहां सैफ खेलों का शानदार आयोजन तो हुआ, लेकिन इसके बाद ¨रक में कोई भी प्रतियोगिता नहीं हो पाई। दक्षिण एशिया की एकमात्र आइस स्केटिंग ¨रक में सैफ खेलों के बाद ताले लग गए। अब करीब चार सालों से बंद ¨रक को नेशनल जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट के लिए खोला जा रहा है। रिंक में अब खिलाड़ी बैडमिंटन से स्मैश लगाते नजर आएंगे। हालांकि, बैडमिंटन टूर्नामेंट से पहले चुनौती ¨रक की बिजली व्यवस्था को ठीक करने की है। बैडमिंटन एसोसिएशन के प्रदेश सचिव बीएस मनकोटी ने कहा कि फर्स के ऊपर बैडमिंटन के कोर्ट बिछाकर मैच करवाए जाएंगे। इनडोर स्टेडियम होने से खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए भी यह एक शानदार अनुभव होगा।
¨रक पर क्या होगा असर पता नहीं
चार साल से बंद पड़े आइस स्केटिंग ¨रक का खुलना एक अच्छा कदम है, लेकिन खिलाड़ियों के पैरों तले बिछे स्केटिंग सरफेस पर बैडमिंटन खेलने से क्या असर होगा यह किसी को पता नहीं। विशेषज्ञ बताते हैं कि आइस स्केटिंग सरफेस के नीचे काफी नाजुक कॉयल्स लगी हैं। इन कॉयल्स के कारण ¨रक के फर्स पर बर्फ जमती है। बैडमिंटन खेलते हुए फर्स पर उछल कूद और मूवमेंट ज्यादा होगा। इससे कॉयल्स को नुकसान पहुंच सकता है। इससे भविष्य में आइस स्केटिंग ¨रक में बर्फ जमाने में भी दिक्कत आ सकती है। वहीं उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस पांगती का कहना है कि फर्स को मल्टीपरपज यूज के लिए बनाया गया है। बैडमिंटन खेलते हुए फर्स पर असर नहीं होगा।