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होर्डिग को लेकर 'भिड़े' अफसर

जागरण संवाददाता, देहरादून: नगर निगम के लिए जी का जंजाल बने होर्डिग टेंडर में घपले के आरोपों पर हाईको

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 09:11 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 09:11 PM (IST)
होर्डिग को लेकर 'भिड़े' अफसर

जागरण संवाददाता, देहरादून: नगर निगम के लिए जी का जंजाल बने होर्डिग टेंडर में घपले के आरोपों पर हाईकोर्ट का फंदा कसता देख निगम अधिकारी आपस में ही भिड़ गए। शनिवार को मुख्य नगर अधिकारी ने अपने कार्यालय में होर्डिग के टेंडर से जुड़े कुछ चुनिंदा अधिकारियों की बैठक ली। बंद कमरे में लगभग एक घंटा चली गुफ्तगू में होर्डिग घोटाले का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने की कोशिश की गई। सूत्रों की मानें तो एक महिला अधिकारी को 'बलि का बकरा' बनाने की तैयारी की जा रही। महिला अधिकारी ने इसका विरोध किया तो उच्च अधिकारी ने उन्हें डांट-डपट दिया। जिस पर महिला अधिकारी रोती हुई कमरे से बाहर निकलीं और अपने कक्ष में आ गई। माना जा रहा कि यह कलह हाई कोर्ट में 27 अप्रैल को सुनवाई के दौरान नया मोड़ ला सकती है।

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होर्डिग का कारोबार नगर निगम में कभी भी विवादों से अछूता नहीं रहा। वर्ष 2012 में काफी बवाल हुआ और टेंडर की अलग से नई नियमावली बनानी पड़ी। हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देकर निगम प्रशासन को नए टेंडर जारी करने के आदेश दिए और तब दिल्ली की एक कंपनी को टेंडर मिला। हालांकि, ये कंपनी भी विवाद में रही, लेकिन दोस्ती प्रगाढ़ होने के कारण कंपनी के एक साल के कार्यकाल को निगम अफसरों ने बगैर टेंडर तीन साल तक खींचा। वह तो इस वर्ष भी टेंडर को राजी नहीं थे। स्थानीय कारोबारियों के दबाव में टेंडर हुए जरूर, लेकिन सिंडिकेट व सेटिंग के चलते ये पुरानी कंपनी को मिल गए। असल में निगम अफसरों ने टेंडर में सिर्फ चार ही कंपनियों को शामिल किया। बाकी जिन कंपनियों ने आवेदन किए थे, उनका निगम प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन अटकाए रखा। ऐसे में टेंडर में गई चारों कंपनियों ने सिंडिकेट के जरिए टेंडर उठाने की साजिश रची और टेंडर का रेट न्यूनतम मूल्य 5.84 करोड़ के पास का भर दिया। टेंडर खुला तो तीन के रेट एक जैसे थे और चौथी का 5.90 करोड़ था। यह कंपनी कोई और नहीं, बल्कि वही है, जो बीते तीन वर्ष से होर्डिग का धंधा संभाल रही है। निगम के अफसरों पर टेंडर में कंपनियों से मिलकर अनियमितता का आरोप है। शहरी विकास मंत्री प्रीतम पंवार ने टेंडर के तत्काल बाद शासन स्तर से जांच बैठा दी, लेकिन यह जांच फिर फंस गई। मुख्य नगर अधिकारी छुट्टी पर चले गए, जबकि जांच आगे बढ़ी ही नहीं। शनिवार को दून लौटे मुख्य नगर अधिकारी नितिन भदौरिया ने अपने कक्ष में इस प्रकरण की बैठक ली। गुप्त मंत्रणा के दौरान अधिकारियों में जमकर कलह हुआ। हालांकि, सभी इस मसले पर खामोश हैं।

दस्तावेज कहेंगे पूरी कहानी

अपने सिर ठीकरा फूटता देख महिला अधिकारी के तेवर भी गरम हो गए। वह बोली, 'दस्तावेज पूरी कहानी बोलेंगे।' सूत्र बता रहे कि उक्त अधिकारी ने टेंडर की फाइल पर दी अपनी आख्या में कड़ी टिप्पणी की हुई है। यह टिप्पणी एक अधिकारी ने गायब करने की कोशिश की। इसी को लेकर शनिवार को भिडं़त हुई और महिला अधिकारी ने साफ कह दिया है कि उनके पास इसकी दूसरी प्रतिलिपी है।

अवकाश पर गई महिला अधिकारी

पुरुष अधिकारियों के रुख से परेशान महिला अधिकारी शनिवार दोपहर बाद से ही एक माह के अवकाश पर चली गईं। हालांकि, महिला अधिकारी ने एक माह की चाइल्ड केयर लीव का पहले ही आवेदन किया हुआ था, लेकिन जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने शनिवार से ही अवकाश ले लिया।

27 तक देना है हाई कोर्ट में जवाब

निगम को इस मामले में 27 अप्रैल को हाई कोर्ट में जवाब देना है। दिव्य हिमगिरी प्रा. लिमिटेड ने याचिका दायर कर रखी है कि होर्डिग टेंडर जारी करने में धांधली की गई है। दरअसल, दिव्य हिमगरी को अपने दस्तावेज जमा करने के लिए 27 मार्च तक का समय दिया गया था, लेकिन निगम की तरफ से 26 मार्च को ही कंपनी को अयोग्य करार दे दिया गया। बीती 17 अप्रैल को हाईकोर्ट ने निगम को 10 दिन में जवाब देने के आदेश दिए थे।


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