Move to Jagran APP

राज्य में राजमार्गों पर अनदेखी का राज

जागरण संवाददाता, देहरादून: सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य में अनद

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 07:56 PM (IST)
राज्य में राजमार्गों पर अनदेखी का राज

जागरण संवाददाता, देहरादून: सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य में अनदेखी का शिकार हैं। केंद्र सरकार के शराब ठेकों को राष्ट्रीय राजमार्ग की 200 मीटर परिधि से दूर रखने के आदेश का पालन तो दूर, देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र में शराब का ठेका राजमार्ग की भूमि पर ही खड़ा है।

loksabha election banner

राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गो की देखरेख के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासक भी नियुक्त किए गए हैं। दून स्थित राजमार्ग का यह क्षेत्र अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की के अधीन आता है, जो इसके प्रशासन भी हैं। लेकिन, अभी तक किसी भी प्रशासक ने इसे लेकर कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। जबकि, राजमार्ग पर बने इस ठेके के कारण प्रेमनगर क्षेत्र में जाम की स्थिति बेहद विकट हो जाती है। शराब के इस ठेके का किराया निजी जेब में जाता है और जाम के कारण जलालत राजमार्ग को झेलनी पड़ती है।

राजमार्गों की अनदेखी के कारण ही बिना केंद्र सरकार की अनुमति व राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 का पालन किए राज्य सरकार ने फ्लाईओवर का काम शुरू कर दिया। जिसका परिणाम यह निकला कि परियोजना ठप पड़ी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट भी सख्त

केंद्र सरकार ने जब नियम बनाया कि शराब के ठेके राजमार्गों की परिधि से 200 मीटर दूर होंगे, तो कुछ राज्यों ने इस पर अमल करते हुए राज्य मार्गो पर भी यह कार्रवाई शुरू कर दी। इसके खिलाफ ठेका संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय दिया कि सरकार राज्य के साथ मिलकर ऐसी नीति बनाए, जिससे शराब के ठेकों के कारण यातायात संबंधी परेशानी उत्पन्न न हो और राजस्व की भी हानि न हो।

प्रशासक के पास अधिकार, पर प्रयोग नहीं

राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि एवं यातायात नियंत्रण अधिनियम-2003 के तहत बिना राजमार्ग मंत्रालय के नियमों का पालन किए न तो राजमार्ग पर किसी तरह का निर्माण किया जा सकता और न उस पर किसी तरह का कब्जा ही संभव है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासक को अधिकार भी दिए गए हैं। अधिकार इतने संपन्न हैं कि उन्हें चंडीगढ़ स्थित ट्रिब्यूनल अथवा हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। इस पर सिविल न्यायालय भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। बावजूद इसके प्रशासक ने कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए।

'राजमार्गों पर कब्जों का संज्ञान लिया जा रहा है। जल्द ही इस दिशा में अभियान चलाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।'

-हरिओम शर्मा, मुख्य अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग यूनिट

'राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 में प्रावधान होने के बावजूद राजमार्गों की अनदेखी सिस्टम पर सवाल है। शराब के ठेकों को राजमार्गों से दूर करने के लिए नीलामी के समय ही व्यवस्था की जानी चाहिए।'

-अजय गोयल, राजमार्ग मामलों के जानकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.