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तिब्बत की आजादी भारत के लिए जरूरी

By Edited By: Fri, 12 Jul 2013 09:39 AM (IST)
तिब्बत की आजादी भारत के लिए जरूरी

जागरण प्रतिनिधि, विकासनगर : भारत की सुरक्षा तिब्बत से ज़ुड़ी हुई है, जिस चीन सीमा पर विवाद चल रहा है वह वास्तव में भारत-तिब्बत सीमा है। तिब्बत की आजादी सामरिक दृष्टि से भारत के लिए भी जरूरी है। यह बात सीएसटी हरबर्टपुर में आए निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग ने दैनिक जागरण से वार्ता करते हुए कही।

दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र, शिक्षाविद् व वर्तमान में धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार का नेतृत्व कर रहे प्रधानमंत्री डा. लोबसांग सांगे ने बताया कि तिब्बती बोली भाषा, तिब्बती संस्कृति व संपूर्ण तिब्बती समुदाय एक ही स्वयं के प्रशासन के अधीन होना चाहिए। भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलते हुए तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष जारी रहेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम अमेरिका, यूरोप सहित विश्व के सभी देशों में आंदोलन को धार देकर चीन सरकार को महसूस कराना चाहते हैं कि तिब्बत की स्वायत्ताता जरूरी है। आजादी की मांग को छोड़ कर स्वायत्ताता की मांग करने के सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि हम पहले अपने लिए एक प्रशासन चाहते हैं, जो तिब्बती समुदाय का हो। भारतीय सीमा पर चीन के आक्रामक रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा तिब्बत से ज़ुड़ी हुई है, जिस सीमा पर विवाद चल रहा है वह वास्तव में भारत-तिब्बत सीमा है। तिब्बत की आजादी सामरिक दृष्टि से भारत के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्नों में तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था और स्वतंत्र होकर रहेगा। आज भले ही देश पर चीन का कब्जा हो, लेकिन तिब्बत एक दिन स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभर कर विश्व के सामने आएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक तिब्बती का कर्तव्य अपने देश की सेवा करना है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र की अपनी राजनैतिक मजबूरियां होती हैं। भारत ने हमें शरण दी है हम यहां मेहमान हैं, इसलिए भारत की राजनीति पर टिप्पणी करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने हर तरह से सहायता देने के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया।

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