उत्तराखंड में छह माह से खाली बैठे हैं 10 आइएफएस
वन महकमे में खाली बैठे अफसरों को भी तैनाती नहीं दी जा रही है। विभाग में ऐसे अफसरों की संख्या 10 है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भौगोलिक लिहाज से राज्य के सबसे बड़े वन महकमे में भले ही भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के अधिकारियों के तबादलों के लिए इस साल शून्य सत्र घोषित किया हो, लेकिन खाली बैठे अफसरों को भी तैनाती नहीं दी जा रही है। विभाग में ऐसे अफसरों की संख्या 10 है, जो पिछले छह माह के दरम्यान केंद्र समेत विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पूरी कर वापस लौटे हैं। वहीं, तमाम वन प्रभाग में डीएफओ के पद खाली चल रहे तो अन्य कई अनुभागों में भी यही स्थिति है। उधर, वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक तैनाती न होने से विभागीय कार्यों पर असर पड़ रहा है। खाली बैठे अफसरों को तैनाती के संबंध में फाइल तैयार की जा रही है।
वन महकमे में प्रोन्नति, प्रतिनियुक्ति समेत विभिन्न कारणों से देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, बागेश्वर समेत अन्य वन प्रभागों में डीएफओ के पदों पर तैनाती होनी है। इसके अलावा अन्य कई अनुभागों में भी तैनाती होनी है। लंबे समय से यह मसला लटका हुआ है। प्रभागों में तो हाल ये है कि दो-दो प्रभागों के कार्यभार के चलते कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा कि भले ही इस साल तबादले नहीं होने हैं, लेकिन कार्य बिना किसी रुकावट के चलते रहें, इसके लिए अफसरों को तो तैनाती देनी ही होगी।
फिर ऐसा भी नहीं कि विभाग में आइएफएस अफसरों की कमी हो। केंद्र समेत विभिन्न विभागों प्रतिनियुक्ति पर गए 10 आइएफएस अफसरों को वापस लौटे छह माह का वक्फा हो चुका है। तब से ये खाली बैठे हैं और तैनाती की राह ताक रहे हैं। इससे सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। वजह ये कि आइएफएस की तैनाती उसी के स्तर से होती है।
वहीं, वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने भी माना कि 10 अफसरों को बिना कार्य के छह से वेतन दिया जा रहा है। यह स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती। उन्होंने बताया कि इन अधिकारियों की तैनाती के मद्देनजर फाइल तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। मंशा ये है कि खाली पड़े प्रभागों व अनुभागों में इनकी तैनाती की जाए। डॉ.रावत ने उम्मीद जताई कि अगले माह सभी जगह तैनाती दे दी जाएगी।
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