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पूर्णागिरि मंदिर के लिए गुरुत्व पेयजल योजना का होगा सर्वेक्षण

संवाद सहयोगी चम्पावत उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम के लिए गुरुत्व पेयजल योजना के

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:35 AM (IST)
पूर्णागिरि मंदिर के लिए गुरुत्व पेयजल योजना का होगा सर्वेक्षण
पूर्णागिरि मंदिर के लिए गुरुत्व पेयजल योजना का होगा सर्वेक्षण

संवाद सहयोगी, चम्पावत : उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम के लिए गुरुत्व पेयजल योजना के निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि धाम के लिए शारदा नदी से लिफ्ट योजना का प्रस्ताव शासन को पहले ही भेजा जा चुका है। अब उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम ने मंदिर समिति के सुझाव पर श्यामला ताल स्रोत से कम लागत की गुरुत्व पेयजल योजना के भी प्रयास शुरू कर दिए हैं।

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पेयजल निर्माण निगम ने काफी पूर्व शारदा नदी से लगभग ढाई किमी लंबी लिफ्ट योजना के निर्माण के लिए 12 करोड़ रुपये का स्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा दिया था। अब पूर्णागिरि मंदिर समति के अध्यक्ष भुवन पाण्डेय ने पेयजल निर्माण निगम को सहूलियत और कम लागत की दृष्टि से श्यामता ताल के पास मौजूद स्रोत से गुरुत्व योजना का निर्माण करने का सुझाव दिया है।

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सर्वे को मांगी गई है अनुमति: जोशी

कार्यदायी संस्था के अधिशासी अभियंता वीके जोशी ने बताया कि उन्होंने श्यामलता ताल स्रोत से सर्वे की अनुमति के लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के बाद सर्वे का कार्य शुरू किया जाएगा। बताया कि लिफ्ट योजना के बनिस्पत गुरुत्व योजना कारगर होगी और इसमें लागत भी कम आएगी।

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पानी का स्तर तय करेगा गुरुत्व योजना का भविष्य

चम्पावत: श्यामता ताल से गुरुत्व पेयजल योजना का भविष्य गर्मी में रहने वाले पानी के स्तर पर निर्भर करेगा। पेयजल निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता ने बताया कि मई और जून में स्रोत का सर्वे किया जाएगा। जल स्तर पर्याप्त होने पर ही योजना का प्रस्ताव आगे बढ़ाया जाएगा। अलबत्ता पूर्णागिरि के लिए शारदा नदी से लिफ्ट योजना पहले से ही प्रस्तावित है।

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लाखों श्रद्धालुओं को झेलना पड़ता है पेयजल संकट

चम्पावत: प्रतिवर्ष लगने वाले पूर्णागिरि मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। पूर्णागिरि के लिए वर्तमान में तीन पेयजल योजनाएं हैं, लेकिन उनसे मिलने वाला पानी अपर्याप्त है। थोड़ी सी बारिश में भी ये योजनाए क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे स्थानीय लोगों और व्यापारियों को भी पेयजल की समस्या से जूझना पड़ता है। पेयजल योजना बनने के बाद इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।


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