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आशा और निराशाओं के बीच गुजर गए 23 वर्ष

विनोद कुमार चतुर्वेदी चम्पावत 14 सितंबर 2019 को स्थापना के 22 वर्ष पूरे कर जनपद आज 23वें वर्ष

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 06:36 AM (IST)
आशा और निराशाओं के बीच गुजर गए 23 वर्ष

विनोद कुमार चतुर्वेदी, चम्पावत

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14 सितंबर 2019 को स्थापना के 22 वर्ष पूरे कर जनपद आज 23वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। भरपूर जवानी से गुजर रहे जिले के लोगों की उम्मीदों और अपेक्षाओं पर आशा और निराशा के भाव अभी भी चढ़ उतर रहे हैं। विगत 22 वर्षो में जिले ने विकास के कई आयाम गढ़ते देखे तो कई सपने ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। टनकपुर-तवाघाट ऑलवेदर रोड का निर्माण कार्य, टनकपुर से लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन, शारदा बैराज से नेपाल के ब्रह्मदेव तक सड़क निर्माण, चम्पावत में आइटीआइ भवन का निर्माण, लोहाघाट के कोलीढेक झील को हरी झंडी आदि कुछ ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पंख लगे तो टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन के लिए बजट स्वीकृत न होना, टनकपुर-जौलजीवी सड़क निर्माण में लेट लतीफी, चम्पावत में जिला जेल का काम शुरू न होना, लोहाघाट के सुई छमनियां स्टेडियम निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के आरोप लगना, चम्पावत में क्वैरालाघाटी पेयजल योजना और राजकीय पॉलीटेक्निक चम्पावत का निर्माण कार्य समय पर पूरा न होना आदि ऐसी घटनाएं रहीं जिससे लोगों में निराशा के भाव पैदा हुए। जिले के 23 वें वर्ष में प्रवेश करने के साथ लोगों में और अधिक सुनहरे कल की उम्मीद हैं। भरोसा है कि आधी अधूरी योजनाओं का काम पूरा होने के साथ कई ऐसी नई योजनाएं बनेंगी जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके, पलायन रुके और गांव खेत, खलिहान आबाद हों।

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23वें वर्ष से चम्पावत की जनता को उम्मीद

1. प्रस्तावित पंचेश्वर बांध का निर्माण शुरू हो

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल पंचेश्वर बांध के निर्माण की कवायद पिछले वर्ष परवान चढ़ी थी, लेकिन पूरा वर्ष बांध निर्माण की औपचारिकता पूरी करने में गुजर गया। जिले के 23वें वर्ष में यहां की जनता बांध निर्माण कार्य का काम शुरू होते देखना चाहती है।

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2. ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा हो

1056 करोड़ की लागत से पिछले वर्ष शुरू हुए टनकपुर-पिथौरागढ़ ऑलवेदर रोड का निर्माण कार्य तय समय पर पूरा नहीं हो पाया। जनता को उम्मीद है कि इस वर्ष सड़क बनकर तैयार हो जाएगी। निर्माण कार्य में लेट लतीफी से बारिश में लगातार हो रहे भूस्खलन से पूरी सड़क डेंजर जोन बन चुकी है।

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3. सीमांत क्षेत्रों के विकास को मिले प्राथमिकता

जनपद के सीमांत क्षेत्रों सीम, चूका, थ्वालखेड़ा, दूरस्थ क्षेत्र डांडा ककनई आदि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। टनकपुर से लगे थ्वालखेड़ा गांव के लोग बारिश में टनकपुर आने के लिए नेपाल के रास्तों का उपयोग करते हैं। अन्य गांवों की स्थिति भी अमूमन ऐसी ही है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इन गांवों से पलायन हो रहा है। लोगों को उम्मीद है कि जिले के 23वें वर्ष में इन गांवों में भी विकास की किरण पहुंचेगी।

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4. आधी-अधूरी योजनाओं होंगी पूर्ण

जिले के लोग चाहते हैं कि इस वर्ष आधे अधूरे लटके राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज चम्पावत का भवन, जिला जेल चम्पावत, क्वैरालाघाटी पंपिंग योजना चम्पावत, लोहाघाट के छमनियां स्टेडियम, टनकपुर में अग्निशमन विभाग का भवन, शारदा बैराज से नेपाल के लिए नहर, टनकपुर-जौलजीवी सड़क का निर्माण कार्य पूरा हो।

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5. बीमारी की हालत से बाहर निकलें जिले के अस्पताल

जिले के अस्तित्व में आए 22 साल बाद भी यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हो पाई हैं। यहां के लोगों को उम्मीद है कि बीमारी की हालत में चले रहे यहां के अस्पताल स्वस्थ्य हों और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके। जिला अस्पताल को बेस अस्पताल बनाने की घोषणा पर अमल तीसरे साल भी नहीं हुआ। टनकपुर और लोहाघाट का ट्रामा सेन्टर अभी भी बदहाल है। डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को रेफर करना अस्पतालों की नियति बन चुका है।

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6. पर्यटन को विकसित कर पैदा किए जाएं रोजगार

जनपद में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन पर्यटन स्थलों की बदहाली और जिले के प्रमुख शहरों में पर्यटन सुविधाओं का अभाव पर्यटन को रोजगार से जोड़ने में बाधक बन रहा है। लोगों की अपेक्षा है कि पर्यटन स्थलों को विकसित कर उन्हें रोजगार से जोड़ा जाए। 22वें साल के आखिर में अच्छी बात यह रही कि एतिहासिक गुरु गोरखनाथ के विकास के लिए संस्कृति विभाग ने 30 लाख और बीएडीपी से 29 लाख रुपये की स्वीकृति मिल गई है। अभी कई ऐसे धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं जिन्हें विकसित किए जाने की दरकार है।

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7. पूर्णागिरि पहाड़ी का ट्रीटमेंट और रोप वे का निर्माण शीघ्र हो

उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेले में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शनों को आते हैं। इसको देखते हुए पर्यटन विभाग द्वारा ठुलीगाढ़ से मंदिर तक करीब 35 करोड़ की लागत से रोप वे निर्माण कार्य कराया जाना है, लेकिन यह योजना अभी भी लंबित है। इसके अलावा हर साह बारिश में दरक रही पूर्णागिरि पहाड़ी के ट्रीटमेंट का प्लान भी धरातल पर नहीं उतर पाया। लोगों को उम्मीद है कि राज्य स्थापना के 23वें वर्ष में दोनों काम पूरे हो जाएंगें।

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8. चम्पावत के हेलीपैड में लैंडिंग देखना चाहते हैं लोग

वीआइपी के आने के लिए सरकार ने सर्किट हाउस के ऊपर हेलीपैड के निर्माण के लिए मैदान का समतलीकरण को कर दिया है, लेकिन अभी फिनीशिंग का कार्य लटका है। जिसके कारण अभी भी वीआईपी के हेलीकॉप्टर गोरलचौड़ मैदान में लैंडिंग कर रहे हैं। 23वें वर्ष में यहां की जनता हेलीपैड में लैंडिंग देखना चाहती है।

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9. गौड़ी व गंडक नदियों की सफाई न होना अखरा

बीते वर्ष में क्षेत्र की गौड़ी व गंडक नदियों की सफाई भी नहीं हो पाई। सरकार ने इन छोटी नदियों की दशा और दिशा बदलने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया। डीएम की पहल पर जरूर नदियों की साफ सफाई के साथ, चेकडैम व किनारे में पौधरोपण कराने का कार्य शुरू करवाया, लेकिन बाद में यह अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। आलम यह है कि कूड़ा कचरा भरने से इन नदियों का अस्तित्व संकट में आ गया है।

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10. पलायन रोकना होगी सबसे बड़ी चुनौती

जनपद बनने के साथ भले ही इन 22 सालों में अरबों रुपये विकास के लिए खर्च कर दिए गए हों लेकिन पलायन का दंश खत्म नहीं हुआ। विकास के अभाव में लगातार पलायन हो रहा है। जंगली जानवरों के आतंक और सिंचाई सुविधा के अभाव में लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है और बिजली पानी न पहुंचने से गांव खाली हो रहे हैं।

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11. चम्पावत बस अड्डे की मिली सौगात

जिला मुख्यालय में बस अड्डा न होना लोगों को काफी अखर रहा था। बीते वर्ष प्रशासन की पहल पर यहां बस अड्डे का निर्माण पूरा कर लिया गया। बस अड्डा होने से अब यहां के लोगों के साथ बाहर से आने वाले यात्रियों को सहूलियत मिल रही है।

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12. टनकपुर इंजीनियरिग कॉलेज को मिला निदेशक

टनकपुर इंजीनियरिग कॉलेज को निदेशक मिलना भी किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। कॉलेज की बदहाली के कारण यहां के छात्र पढ़ने के लिए पिथौरागढ़ आदि स्थानों में पढ़ रहे थे। कॉलेज में शिक्षकों की कमी अभी भी बरकरार है।

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13. एआरटीओ कार्यालय शिफ्ट हुआ नए भवन में

एआरटीओ कार्यालय टनकपुर लंबे समय से किराये के भवन में चल रहा था। नायकगोठ में नया भवन बनने के बाद अब कार्यालय का संचालन नए सिरे से शुरू हो गया है। पर्याप्त जगह और सुविधाएं होने से लोगों को काफी सहूलियत मिल रही है।

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14. टनकपुर और बनबसा के लिए ट्रंचिंग ग्राउंड की स्वीकृति मिली

ट्रंचिंग ग्राउंड न होने से टनकपुर और बनबसा में कूड़ा निस्तारण की गंभीर समस्या पैदा हो गई थी। एनजीटी ने टनकपुर के अस्थाई ग्राउंड पर कूड़ा फेंकने पर रोक लगा दी थी जिसके कारण कूड़ा निस्तारण की समस्या पैदा हो गई थी। अब चूनाभट्टा के पास वन विभाग ने ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए जमीन की एनओसी दे दी है। हालांकि अभी भी लोहाघाट व चम्पावत में ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए जमीन न मिलने से लोग खासे परेशान हैं।

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15. हत्याओं से थर्राया जिला

राज्य स्थापना के 22 वें वर्ष में जनपद में हुई हत्याओं ने लोगों को थर्रा कर रख दिया। जिले के टनकपुर में दिनदहाड़े हुई सावित्री देवी हत्याकांड ने सनसनी फैला दी। वहीं बुरूषखोला में बुजर्ग महिला की रात के समय घर में घुसकर की गई हत्या और हाल ही में पुल्ल हिडोला जीआइसी के चौकीदार की कुल्हाड़ी के वार से की गई हत्या से लोगों में दहसत पैदा कर दी। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से अधिकांश हत्याओं का पर्दाफाश अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं चल्थी चौकी के पास स्थित चांचरी गांव में हुए ट्रिपल मर्डर से क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी। हालांकि पुलिस की सूझबूझ ने हत्या का खुलासा करते हुए आरोपित को जेल भेज दिया।

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16. सफाई के प्रति लोगों में दिखने लगी जागरूकता

जनपद बनने के बाद इन 22 सालों में भले ही लोगों में कोई बदलाव नहीं दिखा हो लेकिन डीएम सुरेंद्र नारायण पांडे द्वारा लगातार चलाए जा रहे सफाई अभियान के बाद जरूर लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता आई है। यही वजह रही कि शहरों में काफी हद तक पूर्व की भांति काफी सफाई दिख रही है। यही नहीं स्वच्छता रैंकिंग में भी नगर निकायों की स्थिति में सुधार देखने को मिला है।


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