''वन सुरक्षित होंगे तभी हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा''
जागरण संवाददाता, चम्पावत : मध्य फरवरी से 15 जून तक के फायर सीजन से पूर्व वनाग्नि को रोकने हेत
जागरण संवाददाता, चम्पावत : मध्य फरवरी से 15 जून तक के फायर सीजन से पूर्व वनाग्नि को रोकने हेतु सुरक्षात्मक उपाय पूर्ण करने के साथ ही वन पंचायत सरपंचों की बैठक कर उन्हें वनाग्नि को रोकने में सहयोग करने हेतु प्रेरित करें। सोमवार को जिला सभागार में वन अग्नि सुरक्षा समिति की बैठक में जिलाधिकारी एसएन पाण्डे ने यह बात डीएफओ केएस बिष्ट से कही। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं को वन पंचायतें प्रभावी ढंग से काम कर सकती है, इसलिए वन पंचायतों का सहयोग वनाग्नि रोकने में प्रभावशाली सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि वनों को वनाग्नि से बचाने हेतु प्रत्येक आम-जन को ''वन सुरक्षित-जीवन सुरक्षित'' स्लोगन के साथ वनों से होने वाले लाभों को प्रचारित कर जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने डीईओ बेसिक को स्कूली बच्चों के गार्जियनों द्वारा वनों को सुरक्षित रखने, वनों में आग न लगाने तथा वनाग्नि की घटना होने पर उसकी सूचना से कंट्रोल रूम को सूचित करने हेतु शपथ-पत्र भरवाएं। उन्होंने वनों को सुरक्षित रखने हेतु, मुख्य रूप से चीड़ प्रभावित क्षेत्रों में फायर लाइन बनाने, लोनिवि के सहयोग से सड़क किनारे की झाड़ियों को फायर सीजन से पूर्व साफ करने के निर्देश वनाधिकारी को दिये। डीएफओ बिष्ट ने बताया कि जनवरी माह में कंट्रोल बर्निंग का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जिससे आग की घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने वनाग्नि को रोकने हेतु स्कूलों, वन पंचायतों, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश वन विभाग को दिये और कहा कि लोगों के मन में यह बात भली-भांति बैठाएं कि जब ''वन सुरक्षित होंगे तभी हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा''। उन्होंने लोनिवि के साथ सड़क निर्माण कर रही अन्य एजेंसियों को भी सुनिश्चित करने को कहा कि फायर सीजन से पूर्व सड़क किनारें झाड़ियों को काट लिया जाय।
उन्होंने कहा कि यदि कोई अराजक तत्वों द्वारा जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा हो तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में किसी भी प्रकार से हिचकिचायें नहीं। बैठक में सभी अधिकारी मौजूद रहें। यह चम्पावत वन प्रभाग की स्थिति
डीएफओ ने बताया कि चम्पावत वन प्रभाग अन्तर्गत कुल 62098.32 है. आरक्षित वन, 22815.709 है. सिविल तथा 36780.563 है. पंचायती वन है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष वनाग्नि की 84 घटनाओं में जन, धन की क्षति नहीं हुई। उन्होंने बताया कि वनों की अग्नि से सुरक्षा हेतु जनपद में 55 कू्र-स्टेशन, सात वाच टावर, सात वायरलैस, एक रिपीटर स्टेशन स्थापित किये हैं साथ ही प्रभागीय कार्यालय में एक मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिन्हें वायरलैस सैटों से जोड़ा गया है। प्रतिदिन तीन बार सूचना का आदान प्रदान कर इसकी सूचना नैनापिक एवं डीसीआर को भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि प्रभागीय कार्यालय के पास 197 ब्रसहुक, 107 मैकेलाइट, 107 पुलास्की, 2017 सोबल तथा 1262 रेक उपकरण है। उन्होंने बताया कि वनाग्नि प्रबन्ध योजना में चालू वर्ष में 24.30 लाख वनाग्नि सुरक्षा हेतु प्राप्त हुआ है। वर्तमान में प्रभाग अर्न्तगत 5 वन क्षेत्राधिकारी, 5 उप वन क्षेत्राधिकारी, 49 वन दरोगा, 98 वन रक्षक है।