आजादी से पहले का संस्कृत स्कूल छात्रों को मोहताज
संवाद सहयोगी चम्पावत वर्ष 1935 में स्थापित चम्पावत का एंग्लो संस्कृत विद्यालय छात्रों के लिए तरस
संवाद सहयोगी, चम्पावत : वर्ष 1935 में स्थापित चम्पावत का एंग्लो संस्कृत विद्यालय छात्रों के लिए तरस रहा है। कभी छात्र संख्या के लिहाज से धनी इस विद्यालय में वर्तमान में सिर्फ नौ छात्र अध्ययनरत हैं। शिक्षकों की लाख कोशिश के बाद भी अभिभावक अपने पाल्यों को यहां भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि स्टॉफ की समस्या छोड़ दें तो यहां कक्षा कक्षों के साथ शिक्षण की अन्य सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
विद्यालय में इस समय कक्षा छह से लेकर 12वीं तक सिर्फ नौ छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। हाईस्कूल में कोई भी रेगुलर छात्र नहीं है। एकमात्र छात्र ने यहां से प्राईवेट फार्म भर रखा है, जबकि 12वीं में एक छात्र रेगुलर पढ़ाई कर रहा है और एक छात्र ने प्राईवेट फार्म भरा है। इसके अलावा कक्षा छह, सात, आठ और नौ में एक-एक छात्र तथा कक्षा 11 में दो छात्र ही पंजीकृत हैं। विद्यालय में कक्षा कक्ष और फर्नीचर की कमी नहीं है, लेकिन स्टॉफ और पेयजल की समस्या बनी हुई है। वर्तमान में यहां दो शिक्षक और दो शिक्षिकाएं संविदा में कार्यरत हैं तथा एक रेगुलर शिक्षक है। प्रधानाचार्य का पद भी लंबे समय से रिक्त है। रिक्त पदों की बात करें तो साहित्यिक विषय के दो और आधुनिक विषय के एक शिक्षक का पद लंबे समय से खाली है। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय होने से कॉलेज प्रबंधन को पेयजल समेत अन्य छिटपुट समस्याओं का निस्तारण स्वयं करना पड़ता है। संस्कृत विद्यालय में छात्र संख्या कम होने के पीछे के कारण स्थानीय अभिभावकों और छात्रों में संस्कृत भाषा के प्रति रुझान की कमी माना जा रहा है।
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संविदा में तैनात शिक्षकों को मानदेय के लाले
इस वर्ष अप्रैल से संस्कृत विद्यालय में संविदा में रखे गए चार शिक्षकों को मानदेय के लाले पड़ गए हैं। शासन से अभी तक स्वीकृति पत्र नहीं मिला है, जिससे उनका मानदेय निकलना मुश्किल हो गया है। इधर, संविदा शिक्षिका हेमा जोशी को राज्य सरकार से मिलने वाली दो हजार रुपये की राशि भी अटक गई है। डाटा सेंटर से गड़बड़ी की वजह से शिक्षिका को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वर्जन::
संस्कृत विद्यालय में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों की ओर से व्यक्तिगत रूप से प्रयास किए जा रहे हैं। विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को आकर्षक बनाया गया है। भविष्य में भी छात्र संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।
-उमापति जोशी, प्रभारी प्रधानाचार्य संस्कृत विद्यालय