नहर निर्माण में मशीन बनी रोड़ा
विनय कुमार शर्मा, चम्पावत : भारत-नेपाल के बीच 28 साल पूर्व हुई संधि के तहत बनने वाले नहर में अब
विनय कुमार शर्मा, चम्पावत :
भारत-नेपाल के बीच 28 साल पूर्व हुई संधि के तहत बनने वाले नहर में अब मशीन रोड़ा बन गई है। कार्यदायी संस्था एनएचपीसी ने नहर बनाने के लिए मशीन से खनिज उठाने की अनुमति वन मंत्रालय से मांगी थी। जिसे वन मंत्रालय ने ठुकरा दिया। अब एनएचपीसी ने विद्युत मंत्रालय के जरिए वन मंत्रालय में अनुमति की फाइल लगवाई है, ताकि नहर निर्माण का कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जा सके। वहीं 12 एकड़ वन भूमि हस्तातरण की प्रक्रिया भी प्रगति पर है।
गौरतलब है 1991 में बने टनकपुर शारदा बैराज के समय भारत-नेपाल के बीच कई बातों पर संधि हुई थी। जिसमें एनएचपीसी से बनने वाली बिजली का कुछ हिस्सा नेपाल को देने तथा नेपाल में करीब 13 किमी नहर व रोड का निर्माण किया जाना था, ताकि नेपाल के लोगों को भी इसका लाभ मिल सके। संधि हुए सालों बीत गए लेकिन संधि के अनुसार काम शुरू नहीं हो सका। बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे के बाद संधि के तहत हुए कार्यो में तेजी आई। जिसके तहत नेपाल में रोड निर्माण कार्य शुरू किए जाने के साथ नहर निर्माण की भी कवायद शुरूहुई। नहर निर्माण के लिए सरकार ने एनएचपीसी को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए डीपीआर तैयार कराई। 75 करोड़ की डीपीआर तैयार हुई। जिसके बाद एनएचपीसी ने आगे की कार्यवाही की।
नहर निर्माण में करीब 12 एकड़ वनभूमि आ रही है। जिसके हस्तांतरण की कार्यवाही चल रही है। वहीं नहर निर्माण में लगने वाले खनिज उठान के लिए एनएचपीसी ने मशीन लगाने की अनुमति मांगी थी जिसे वन मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। वहीं अब एनएचपीसी ने मशीन लगाने की अनुमति के लिए दुबारा फाइल विद्युत मंत्रालय के जरिए लगाई है।
--------------- 57 करोड़ के हुए टेंडर
नहर निर्माण के लिए 75 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है। जिसमें 57 करोड़ के ही टेंडर किए गए हैं। जिसके तहत कार्य किए जाने हैं। इसमें 12 करोड़ का बजट नहर निर्माण के लिए दो माह तक पानी बंद किए जाने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए रखा गया है। वहीं पांच करोड़ वनभूमि हस्तांतरण व अतिरिक्त खर्च के लिए रखा गया है। कुल 80 करोड़ का खर्च है।
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नहर निर्माण में लगने वाले खनिज के के लिए मशीन लगाने की अनुमति मांगी गई थी। मगर वन मंत्रालय ने अनुमति नहीं दी है। अब विद्युत मंत्रालय के जयिे अनुमति लेने के लिए फाइल दुबारा लगाई है। कुल 80 करोड़ का खर्च है।
- रईस मियां, महाप्रबंधक, एनएचपीसी