अग्रिम आदेश तक इंडो-नेपाल बॉर्डर सील
बनबसा में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के बाद प्रदेश को लॉक डाउन करने के बाद इंडो नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया गया है
संवाद सूत्र, बनबसा : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के बाद प्रदेश को लॉक डाउन करने के बाद सरकार ने इंडो नेपाल बॉर्डर को अग्रिम आदेशों तक सील कर दिया है। बॉर्डर सील होने के बाद अब बॉर्डर से दोनों देशों के बीच आवाजाही पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
बता दें कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पहले दोनों देशों ने मैत्री बसों का संचालन बंद किया। इसके बाद नेपाल ने भारतीय वाहनों के नेपाल में प्रवेश करने पर रोक लगाई थी। मगर भारत ने नेपाली वाहनों के आवागमन पर कोई रोक नहीं लगाई थी। जिससे नेपाल से संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ था। लोग लगातार बॉर्डर को सील करने की मांग कर रहे थे। जिसके बाद भारत सरकार ने कार्रवाई करते हुए सोमवार को इंडो नेपाल बॉर्डर को अग्रिम आदेशों तक सील कर दिया। एसपी लोकेश्वर सिंह ने बताया कि भारत सरकार से मिले निर्देश के बाद इंडो नेपाल बॉर्डर को अग्रिम आदेशों तक सील कर दिया गया है। आदेश में बॉर्डर सील खोलने की तिथि नहीं लिखी है। लिहाजा अग्रिम आदेश मिलने तक बॉर्डर पर किसी प्रकार की दोनों देशों द्वारा कोई आवाजाही नहीं की जाएगी। लॉकडाउन के बाद पसरा सन्नाटा
बनबसा : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए 31 मार्च तक प्रदेश को लॉकडाउन किए जाने के आदेश के बाद सोमवार को सड़कों पर कम ही लोग दिखाई दिए। नगर से नेपाल को होने वाला व्यापार पूरी तरह से बंद रहा। भारत-नेपाल सीमा केवल नेपाली नागरिक ही दिखाई दिए। सड़क रविवार को जनता कर्फ्यू की तरह एकदम सुनसान तो नहीं रही पर सड़क पैदल लोग कम बल्कि दुपहिया वाहनों से आवाजाही करते दिखाई दिए। कोरोना वायरस के खतरे को अब लोग भी समझने लगे है। अलबत्ता सडकों पर खुद ही कम दिखाई दे रहे है। सुबह 11 बजे से साय 3 बजे तक नगर में जरूरी सामान और मेडिकल की दुकाने खुली हुई थी। जिससे लोगों ने घरों के लिए आवश्यक सामाग्री खरीदी। नगर के प्रमुख चौराहों पर पुलिस मुस्तैद दिखाई दी। पैदल की लोगों ने की आवाजाही
बनबसा : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए नगर पंचायत द्वारा नगर के वार्डो और बाजारों में कीटनाशक का छिड़काव किया गया। वहीं भारत-नेपाल सीमा को बंद किये जाने के बाद भारत के अलग-अलग राज्यों से अपने वतन नेपाल को लौट रहे नेपाली नागरिकों को वाहनों की आवाजाही न होने से भारी सामान लेकर पैदल ही आवागमन करना पड़ा।