शहीद का भाई होने पर मुझे है गर्व : राजेंद्र
कुंदन सिंह बिष्ट बनबसा कारगिल की लड़ाई में मैंने अपना बड़ा भाई खो दिया। मुझे गर्व है कि
कुंदन सिंह बिष्ट, बनबसा
कारगिल की लड़ाई में मैंने अपना बड़ा भाई खो दिया। मुझे गर्व है कि आज मुझे लोग शहीद के भाई के नाम से जानते हैं। भाई से मिले देश सेवा के जज्बे के चलते मैंने भी देश सेवा के प्रति अपना कदम बढ़ाया और मैं भी फौज में नौकरी कर रहा हूं। मां भी चाहती है कि मैं बड़े भाई की तरह देश की रक्षा करूं । यह कहते हुए कारगिल की लड़ाई में शहीद खीम सिंह कुंवर के छोटे भाई राजेंद्र सिंह कुंवर की आंखे भर आई। राजेंद्र इन दिनों छुट्टी पर घर आए हुए हैं।
पचपकरिया निवासी गंगा सिंह और माता लक्ष्मी देवी के घर 12 फरवरी 1972 को जन्मे शहीद खीम सिंह कुंवर अपने आठ भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। शहीद खीम सिंह कुंवर ने 1999 में 27 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। शहीद खीम सेना की स्पेशल कंमाडो फोर्स नौ पैरा में थे। शहीद की मा लक्ष्मी देवी बताती है कि जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा कारगिल में पाकिस्तान के जवानों से मुठभेड़ के दौरान अपने साथियों को बचाते हुए शहीद हो गया तब उन्हें लगा की उनका सब कुछ खत्म हो गया है। उन्हे अपने बच्चों की परवरिश की चिंता सताने लगी, लेकिन उन्होंने अपने दर्द को कम करते हुए छोटे बेटे को भी सेना के लिए तैयार किया। कहती हैं कि उनका दूसरा बेटा सेना में रहकर देश की सेवा कर घर वापस आ गया और छोटा बेटा अब भी सेना में है और देश सेवा कर रहा है। वह बताती है कि उनके बेटे के शहीद होने के बाद उनकी बहू मंजू रेलवे में नौकरी कर रही है और उनका पोता मा के साथ बरेली में रहकर पढ़ाई कर रहा है। शहीद की मा लक्ष्मी देवी रोते हुए बताया कि उनका न तो राशन कार्ड ही बन पाया है और पिछले तीन वर्षो से उन्हें मिलने वाली पेंशन भी बंद हो चुकी है। राजेंद्र बताते हैं कि मां जब भी उस पल को और भाई की फोटो देखती है तो उनके आंसू रोके नहीं रूकते। उनको मिलने वाली पेंशन सरकार ने बंद कर दी। यही नहीं आज तक उनका राशन कार्ड नहीं बन पाया। सरकार शहीदों के लिए बड़े-बड़े वादे तो करती है, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं मिलता। ======== बनबसा में बना है शहीद स्मारक
शहीद खीम सिंह कुंवर की याद में सरकार ने उनका स्मारक बस स्टैंड के पास बनवाया है, लेकिन उसकी हालत खस्ताहाल है। हालांकि नगर पंचायत व व्यापार मंडल द्वारा स्मारक के सुंदरीकरण का कार्य कराया जा रहा है।