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प्रथम नवरात्रि से शुरू होगा घटोत्कच महोत्सव

जागरण संवाददाता, चम्पावत : करीब 22 वर्षो बाद एक बार फिर घटोत्कच महोत्सव की तैयारियां शुरू

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 04:00 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:00 PM (IST)
प्रथम नवरात्रि से शुरू होगा घटोत्कच महोत्सव
प्रथम नवरात्रि से शुरू होगा घटोत्कच महोत्सव

जागरण संवाददाता, चम्पावत : करीब 22 वर्षो बाद एक बार फिर घटोत्कच महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है। मंगलवार देर शाम आयोजित समिति की बैठक में तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। जिसमें नवरात्रि के प्रथम दिन झाली माली से डोला घटोत्कच मंदिर तक लाया जाएगा।

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समिति अध्यक्ष मनमोहन सिंह बोहरा ने बताया कि शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन से महोत्सव का शुभारंभ होगा। जिसके बाद नियमित पूजा अर्चना होने के बाद अष्टमी, नवमी व दशमी में बच्चों की विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। एकादशी को विशाल भंडारे के साथ महोत्सव का समापन किया जाएगा। दशमी के दिन ही डोला घटोत्कच मंदिर से झाली माली मंदिर जाएगा। समिति अध्यक्ष ने बताया कि 22 वर्ष पूर्व यहां पर मेले का आयोजन किया जाता था तब पशु बलि देने की परंपरा थी। जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया। लेकिन इस वर्ष समिति के सदस्यों ने अपनी परंपराओं व संस्कृति को संजोए रखने के लिए महोत्सव कराने का निर्णय लिया गया। बैठक में उपाध्यक्ष चतुर सिंह पुजारी, सचिव शंकर सिंह, कोषाध्यक्ष नीरज जोशी, पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रकाश तिवारी, जिपं सदस्य गोविंद सामंत, डॉ. भुवन चंद्र जोशी, इंदुवर जोशी, राकेश बोहरा, बलवंत धामी आदि मौजूद रहे। घटोत्कच मंदिर की विशेषता

समिति ने बताया कि द्वापर युग के अंत में कलियुग के प्रारंभ में पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीतकर पूरे जगत में डंका बजा दिया था। कहा जाता है कि उनकी लड़ाई यहां क्षत्रियों से हुई थी। हिडिंबा राक्षसी से उत्पन्न भीम पुत्र घटोत्कच को कर्ण ने मार दिया। जिसका सिर यहां पड़ा मिला था। कहा जाता है कि करीब पांच हजार वर्ष पूर्व यहां पानी ही पानी था। इसलिए घटोत्कच का सिर ढूंढने के लिए अर्जुन ने बाण चलाया था और गंडक नदी का रूख मोड़ दिया था। तब से यह नदी उत्तर वाहिनी नदी के नाम से जानी जाती है। भीमसेन ने घटोत्कच की याद में चम्पावत से दो किमी दूर घटोत्कच (घटकू) का मंदिर बनवाया। जिसे आज घटकू देवता कहते हैं। यहां से दो किमी दूर मां हिडिंबा का मंदिर है। कहा जाता है कि घटकू में दूध चढ़ाने पर हिडिंबा मंदिर में चला जाता है। आज भी जब क्षेत्र में लंबे समय वर्षा नहीं होती है तो लोग सात श्वरों का जल लाकर यहां भरते हैं। जिससे तीन दिन के अंदर बारिश हो जाती है। और शुभ कार्य करने से पूर्व भी घटकू मंदिर में दिया जलाते हैं। यहां पर जनेऊ संस्कार करने से बड़ा लाभ मिलता है।


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