देवी भागवत सुनने दूर दराज से पहुंच रहे श्रद्धालु
लोहाघाट के ग्राम सभा पाटन पाटनी के मां झूमाधुरी मंदिर में 11 दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा जारी है। यहां कथा श्रवण के दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैँ।
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : ग्राम सभा पाटन पाटनी के मां झूमाधुरी मंदिर में 11 दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा रविवार को पांचवे दिन भी जारी रही। कथावाचक बाबा आदित्य दास ने कथा का प्रवचन करते हुए मां भुवनेश्वरी और मणिदीप वासिनी की उत्त्पति एवं राजा जन्मेजय और परीक्षित द्वारा मां देवी मंदिर की स्थापना के वृतांत के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इससे पूर्व मंदिर में आचार्य परमानंद पंत, विनोद पांडेय, दीपक पांडेय, दीपक तिवारी, नरेश गहतोड़ी आदि पुरोहितों ने नवग्रह, गायत्री, महामृत्युंजय, वासुदेव, दुर्गा, भैरव, गणेश, हनुमान के मंत्रों का जाप किया। देर शाम ग्राम सभा पाटन-पाटनी की भजन मंडली ने शानदार भजनों की प्रस्तुति दी। कथा के दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया जा रहा है। कथा सुनने के लिए ग्राम सभा पाटन-पाटनी, राईंकोट, चांदमारी, लोहाघाट, सुई, गल्लागांव आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ग्रामीण धन सिंह पाटनी, मोहन पाटनी, प्रकाश बोहरा आदि ने प्रसाद वितरण में सहयोग किया।
उधर ऐड़ी देवता के मंदिर ब्यानधुरा धाम में 29 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेला लगेगा। रविवार को ब्यानधुरा सेवा समिति के पदाधिकारियों ने बैठक कर इसका निर्णय लिया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि मेले की सभी तैयारिया पूरी कर ली गई हैं। समिति ने पुलिस प्रशासन से पर्याप्त पुलिस व्यवस्था की माग की है। समिति अध्यक्ष शकर जोशी ने बताया कि पुजारियों के निर्देशन में डोला अमगढ़ी, पाटली, कठौल गाव होते हुए छड़ीदार ले जाया जाएगा, जो सुबह ब्यानधुरा धाम पहुंचेगा। रातभर जागरण और दूसरे दिन विशेष पूजा अर्चना होगी। जिसमें बुड़हम, डाडा, ककनई, मथियाबाज, तलियाबाज, नौलापानी, धूरा, ब्याला, झालाकूड़ी के ग्रामीण सामूहिक पूजा एवं भंडारे का आयोजन करते हैं। मेले में नैनीताल, पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर से भी श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पेयजल की व्यवस्था के लिए घोड़ों-खच्चरों का प्रयोग किया जाएगा। बैठक में दीप चंद्र पाठक, जमन सिंह महरा, प्रकाश चंद्र जोशी, नारायण सिंह महरा, जगदीश सिंह महरा, हयात सिंह बिष्ट, मोहन चंद्र जोशी, नंदाबल्लभ जोशी, रुद्र सिंह महरा, धर्मेंद्र सिंह रहे।