जमीन के अभाव में बेस अस्पताल की घोषणा अधूरी
पर्वतीय क्षेत्र के मरीजों को बेहतरीन चिकित्सीय सुविधाओं का लाभ देने के उद्देश्य से पूर्व सीएम ारा की गई बेस अस्पताल की घोषणा छह साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पायी है।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : पर्वतीय क्षेत्र के मरीजों को बेहतरीन चिकित्सीय सुविधाओं का लाभ देने के उद्देश्य से पूर्व सीएम द्वारा की गई बेस अस्पताल की घोषणा छह साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई। प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद अब पांच नाली भूमि न मिलने की वजह से फाइल अधर में लटकी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्ताव भी बनाकर शासन में भेज दिया गया है लेकिन अभी तक शासन स्तर पर इसमें कोई सुनवाई नहीं हुई है। जिस कारण जिला अस्पताल को बेस अस्पताल बनाए जाने की उम्मीदें धरी की धरी रह गई।
प्रदेश बने 20 साल हो गए लेकिन इसे विरासत में मिले घाव अब तक नहीं भर पाए हैं। यूं कहें कि वक्त बीतने के साथ ये और नासूर बनते जा रहे हैं। एक तो पहाड़ की दुभर परिस्थितिया और उस पर बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं। अस्पताल में न डॉक्टर, न दवा। नतीजतन छोटी सी बीमारी के लिए भी पहाड़ी लोगों को शहरी इलाकों की दौड़ लगानी पड़ती है। पर्वतीय इलाकों में सेहत भगवान भरोसे है। लाख कोशिशों के बाद भी महकमा डाक्टरों को पहाड़ चढ़ाने में नाकाम रहा है। ऐसे में जनपदवासियों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से 25 दिसंबर 2014 को चम्पावत दौरे पर आए सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गोरलचौड़ मैदान में जनसभा के दौरान जिला अस्पताल को बेस अस्पताल बनाए जाने की घोषणा की थी। जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजा। संयुक्त सचिव अतर सिंह ने 10 अप्रैल 2015 को शासनादेश जारी कर प्रशासनिक स्वीकृति भी दे दी। जिसके बाद लीसा फैक्ट्री में बेस अस्पताल बनाने के लिए नाप-जोख भी हुई। प्रस्ताव शासन में भेजा गया लेकिन अभी तक वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल पाई। फाइल स्वास्थ्य निदेशालय में जंग खा रही है। वहीं अब स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बेस अस्पताल बनाने के लिए पांच नाली भूमि की और आवश्यकता है जो अभी तक नहीं मिल पाई है। भूमि के अभाव में आगे की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। नतीजा बेस अस्पताल का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
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ये होंगी बेस अस्पताल में सुविधाएं
= बेस हॉस्पिटल में मरीजों के लिए 300 बेड होते हैं।
= सभी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर होते हैं जैसे कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, स्किन स्पेशलिस्ट आदि।
= एमआइआर, सीटी स्कैन, आईसीयू, वेल्टीनेटर आदि सुविधाएं होती हैं तथा इन उपकरणों के लिए ट्रेंड टैक्निकल स्टॉफ होता है।
= जिला अस्पताल के मुकाबला बहुत बड़ा स्टाफ होता है।
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======= वर्जन-
पूर्व सीएम ने जिला अस्पताल को बेस अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद भूमि की नापजोख करने पर पांच नाली भूमि कम मिली। जिस कारण भूमि की डिमांड के लिए डीएम के माध्यम से सीएम को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन में फाइल है।
-डा. आरपी खंडूरी, सीएमओ, चम्पावत