राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 पर हुआ मंथन
संवाद सहयोगी चम्पावत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप पर अकादमिक सैल द्वारा बुधवार को बीआर
संवाद सहयोगी, चम्पावत : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप पर अकादमिक सैल द्वारा बुधवार को बीआरसी सभागार में गोष्ठी का आयोजन कर चर्चा की गई। जिसमें अध्यापकों, बुद्धिजीवियों व शिक्षा जगत से जुड़े हित धारकों ने भाग लिया। गोष्ठी में उपस्थित लोगों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्राफ्ट पर अपने विचार रखे व सुझाव दिए।
गोष्ठी का शुभारंभ खंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट, सेवानिवृत्त उप शिक्षा अधिकारी लोकमणि पंत, मदन सिंह महर व विपिन पांडेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। परिचर्चा के प्रारंभ में शिक्षक नवीन पंत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप की सिफारिशों के बारे में बताया। जिसमें उन्होंने बताया त्रिभाषा सूत्र स्कूल कॉम्पलेक्स, 10 प्लस टू की प्रणाली को समाप्त कर पांच प्लस तीन प्लस तीन प्लस चार की प्रणाली शुरू करना तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्राथमिक कक्षा से कक्षा 12 तक लागू करने की सिफारिशें मुख्य हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विचार रखते हुए मनोज जोशी ने छात्र शिक्षक अनुपात, भाषा एवं गणित मेले पर, नीरज पांडेय ने शिक्षक शिक्षा से संबंधित सिफारिशों के बारे में बताया कि 2022 तक शिक्षा मित्र व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। गोष्ठी में उपस्थित लोगों ने ड्राफ्ट पर अपने सुझाव देते हुए कक्षा शिक्षक अनुपात के आधार पर अध्यापक नियुक्त करने, मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी विषयों को पढ़ाने, पूरे देश में गणित, विज्ञान, साहित्य का समान पाठ्यक्रम करने, सीएसआर के तहत प्रत्येक कारपोरेट के लिए 80 प्रतिशत धन शिक्षा में व्यय करने की बात कही। गोष्ठी में मोहन जोशी, कमलेश जोशी, अर्जुन सिंह, भुवन जोशी, गौरव सिंह, योगेश समदरिया, राजेंद्र गहतोड़ी, नवीन उपाध्याय, कमल शर्मा, देवी दत्त जोशी ने अपने सुझाव दिए। अकादमिक सेल के कैलाश भट्ट व डीएन भट्ट ने बताया परिचर्चा के सुझावों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को मेल कर दिया गया है।
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