पहले पेड़ की टहनी पर झूलता रहा, फिर जानवरों से बचने को पेड़ पर अटके वाहन में गुजारी सर्द रात, पढ़ें...
कड़ाके की सर्द रात, घुप अंधेरा और जंगल के बीच पेड़ में लटकता आदमी। नहीं-नहीं ये किसी फिल्म का डरावना सीन नहीं बल्कि हकीकत का हादसा है। एक कैंटर चालक सड़क दुर्घटना में कैंटर से छिटक गया।
चंपावत। कड़ाके की सर्द रात, घुप अंधेरा और जंगल के बीच पेड़ की टहनी पर झूलता आदमी। नहीं-नहीं ये किसी फिल्म का डरावना सीन नहीं बल्कि हकीकत का हादसा है। एक कैंटर चालक सड़क दुर्घटना में कैंटर से छिटक गया। गनीमत यह रही कि उसकी स्वेटर पेड़ की टहनी में जा फंसी और वह पेड़ से लटक गया। होश आने पर उसे पता चला कि वह कहां फंसा हुआ है।
पिथौरागढ़ जनपद के ब्लॉक मूलाकोट के ग्राम रुइना निवासी शमशेर सिंह (30) पुत्र बहादुर सिंह इस हादसे का गवाह है। दो दिन पहले उसने टनकपुर से पिथौरागढ़ के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का चावल लादा और कैंटर लेकर शाम को स्वाला के समीप पहुंच गया। कुछ देर आराम करने के बाद रात का भोजन किया। रात करीब साढ़े दस बजे चंपावत के लिए वह चल पड़ा।
करीब 11 बजे चंपावत से करीब 20 किमी दूर स्वाला से थोड़ा ऊपर एक ऑल्टो कार सामने से आ गर्इ। संकरी सड़क होने के बावजूद भी कार चालक ने स्पीड कम नहीं की। इससे शमशेर सिंह ने कैंटर सड़क से बिल्कुल नीचे उतार दिया। जैसे ही कैंटर सड़क से नीचे उतरी, पैराफिट व क्रश गार्ड न होने के चलते जमीन धंस गई और कैंटर नीचे गिर गया।
हवा में पलटता कैंटर एक पेड़ में जाकर अटक गया और चालक छिटककर नीचे गिर गया। तभी उसकी स्वेटर एक पेड़ की टहनी में फंस गई और वह पेड़ से लटक गया। हादसे के बाद वह बेहोश हो गया। आधी रात के बाद जब उसे होश आया तो उसकी रूह कांप गर्इ। किसी तरह हिम्मत कर किसी तरह पेड़ से नीचे उतरा।
ठंड से बचने के लिए पेड़ से लटके कैंटर के केबिन में चला गया। बाद में एक रोडवेज बस में बैठ कर चम्पावत बाजार पहुंचा। वहां से वह जिला अस्पताल में स्वयं पहुंचा। ठंड से उसका शरीर सफेद व नीला पड़ गया था। डॉक्टरों ने बहुत मुश्किल से उसकी जान बचाई।
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