तिब्बत सीमा से लगे गो गांव में चार मकान ध्वस्त
संवाद सूत्र, धारचूला: ग्रीष्मकालीन प्रवास गो गांव के चार परिवारों के लिए परेशानी का कारण बनने जा
संवाद सूत्र, धारचूला: ग्रीष्मकालीन प्रवास गो गांव के चार परिवारों के लिए परेशानी का कारण बनने जा रहा है। दारमा घाटी में तिब्बत सीमा से लगे गो गांव में चार मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इसका कारण शीतकाल में हिमपात के दौरान चले बर्फीले तूफान माना जा रहा है। अलबत्त्ता ग्रामीण इसे अज्ञात लोगों की करतूत बता रहे हैं।
उच्च हिमालयी गांवों के ग्रामीण साल में छह-छह माह अलग-अलग स्थानों पर व्यतीत करते हैं। मई से लेकर अक्टूबर तक का समय उच्च हिमालय में और नवंबर से अप्रैल तक का समय काली नदी घाटी में जौलजीवी से गोठी के मध्य बिताते हैं। इधर अब ग्रामीण ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए जाने लगे हैं। इससे पूर्व क्षेत्र में भेड़ पालक भेड़ों के साथ पहुंच चुके हैं। जो क्षेत्र की रैकी कर वापस लौटे हैं। भेड़ पालकों ने बताया कि गो गांव में धीरा ग्वाल, बसंती देवी, गंगा सिंह और पत्त्ती देवी के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
मकानों की छतें उड़ चुकी हैं। घरों में रखा सामान बिखरा है। घरों में रखा खाद्यान्न सहित अन्य उपयोगी सामान गायब है। यह क्षेत्र विगत छह माह से जनशून्य था। शीतकाल में यहां पर कई फिट बर्फ जमी थी। अभी भी क्षेत्र में बर्फ है। बीते दिनों तक यहां पर बर्फीले तूफान चलते रहे थे।
प्रथम दृष्ट्या इसे बर्फीले तूफान का कहर माना जा रहा है । दूसरी तरफ ग्रामीण इसे बर्फीला तूफान नहीं अपितु चोरी के लिए मकानों को तोड़े जाने का मामला मान रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके मकानों पर ताले लगे रहते हैं। यहां पर मकान कम ऊंचाई के होते हैं । चोर छत में लगी पत्थरों की प्लेट निकालकर चोरी करते हैं। जिस कारण अधिकांश मकानों की छत उखड़ी हैं और घरों पर रखा सामान गायब है।एसडीएम आरके पांडेय ने कहा है कि इस मामले की राजस्व टीम भेज कर जांच की जाएगी।