योग-ध्यान बदरी मंदिर में विराजमान हुए भगवान बदरी नारायण, शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर के लिए होगी रवाना
मार्ग में हनुमानचट्टी समेत विभन्न स्थानों पर देव डोलियों का भव्य स्वागत हुआ जबकि पांडुकेश्वर में महिला मंगल दल और ग्राम पंचायत की ओर से पुष्प वर्षा कर डोली यात्रा का स्वागत किया गया। इसके बाद पांडुकेश्वर व जोशीमठ में भगवान बदरी नारायण की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: बदरीनाथ धाम में रात्रि प्रवास के बाद भगवान बदरी नारायण के प्रतिनिधि एवं बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की उत्सव डोली और और आदि शंकराचार्य की गद्दी यात्रा सेना के बैंड व लोक वाद्यों की मधुर लहरियों के बीच पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पहुंची। शंकराचार्य की गद्दी रात्रि विश्राम के बाद आज जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर (मठांगण) के लिए रवाना होगी।
शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए किया प्रस्थान
इसके बाद पांडुकेश्वर व जोशीमठ में भगवान बदरी नारायण की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी। डोली व गद्दी यात्रा ने धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान किया। मार्ग में हनुमानचट्टी समेत विभन्न स्थानों पर देव डोलियों का भव्य स्वागत हुआ, जबकि पांडुकेश्वर में महिला मंगल दल और ग्राम पंचायत की ओर से पुष्प वर्षा कर डोली यात्रा का स्वागत किया गया।
डोली यात्रा में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, ब्रह्मचारी सहजानंद, ब्रह्मचारी मुकुंदानंद, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, धाम के धर्माधिकारी राधेकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, मंदिर समिति के सदस्य, पुजारीगण, बामणी व पांडुकेश्वर गांव के हक-हकूकधारी और श्रद्धालुजन शामिल रहे।
राम ने किया ताड़का का वध
नई टिहरी: बूढ़ाकेदार में चल रही रामलीला के दूसरे दिन बीती शनिवार को ताड़का वध का मंचन किया। रामलीला के दूसरे दिन जंगल में राक्षसों के आतंक से परेशान होकर विश्वामित्र अयोध्या पहुंचते हैं और राज दशरथ के दोनों पुत्र राम व लक्ष्मण के अपने साथ ले जाने की अनुमति मांगते हैं । अनुमति मिलने के बाद राम व लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ चले जाते हैं। रामलीला देखने को काफी संख्या में आस-पास के ग्रामीण भी पहुंच रहे हैं। इस मौके पर बूढ़ाकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र नेगी, गोपेश्वर प्रसाद जोशी, प्रधान सनोप राणा, मुकेश नाथ, महेश सिंह, शंभूशरण रतूड़ी, कमल सिंह राणा आदि मौजूद थे।
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