उत्तराखंड के दो होनहार बने परमाणु विज्ञानी
उत्तराखंड के दो होनहार छात्रों का परमाणु विज्ञानी के पद पर चयन हुआ है।
जागरण टीम गढ़वाल : उत्तराखंड के दो होनहार छात्रों का परमाणु विज्ञानी के पद पर चयन हुआ है। इनमें मैकेनिकल इंजीनियरिग की पढ़ाई कर रहे मयंक रावत इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र कलपक्कम, चेन्नई में परमाणु विज्ञानी पद के लिए चयनित हुए, जबकि मयंक गौड़ का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में परमाणु विज्ञानी पद के लिए हुआ है। प्रतिभाशाली छात्रों की इस उपलब्धि पर स्वजनों सहित क्षेत्रीय ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने खुशी जताई है।
रुद्रप्रयाग जनपद के क्यूंजा घाटी के कंडारा गांव निवासी मयंक रावत ने इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र कलपक्कम, चेन्नई में परमाणु विज्ञानी के पद पर चयनित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि परमाणु अनुसंधान केंद्र में कार्य करने का अवसर मिलने पर उनका सपना साकार हुआ। उनके पिता विजयपाल सिंह रावत पौड़ी जिले में मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं। मयंक रावत ने वर्ष 2012 में केंद्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि से हाईस्कूल उत्तीर्ण किया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2014 में नवोदय विद्यालय जाखधार से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2015 में मयंक रावत ने एनआइआटी श्रीनगर गढ़वाल में बीटेक में प्रवेश लेते हुए वर्ष 2019 में मैकेनिकल इंजीनियरिग की चार वर्ष की पढ़ाई पूरी की। वर्तमान में वह आइआइटी मद्रास से एमटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। मयंक रावत ने कहा कि परमाणु विज्ञानी के रूप में देश की सेवा करना उनका सपना रहा है।
वहीं, चमोली जनपद में नारायणबगड़ के ग्राम पंचायत मनौड़ा के केशपुर गांव निवासी 22 वर्षीय मयंक गौड़ का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में परमाणु विज्ञानी के पद पर हुआ है। मयंक गौड़ वर्तमान में आइआइटी रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिग में एमटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। मयंक के माता-पिता शिक्षक हैं। पिता भरत प्रसाद गौड़ व माता शकुंतला गौड़ दोनों ही राजकीय इंटर कॉलेज भगवती में कार्यरत हैं। मयंक ने कक्षा आठ तक नारायणबगड़ में ही पढ़ाई करने के बाद देहरादून के मार्शल स्कूल से 2012 हाईस्कूल व समरवैली से 2014 में इंटरमीडिएट किया। मयंक ने गोविद बल्लभ पंत इंजीनियरिग कॉलेज पौड़ी से मैकेनिकल इंजीनियरिग में बीटेक वर्ष 2018 में पास की। मयंक का कहना है कि बचपन से ही उसका सपना कुछ नई खोज करने का था। परमाणु विज्ञानी बनने के बाद वह इस क्षेत्र में कुछ अलग करने का प्रयास करेगा। उनकेनाना रामचंद्र मनौड़़ी ने हमेशा उत्साह देकर मार्गदर्शन दिया। आज वे स्वजनों के मार्गदर्शन से ही आगे बढ़ पाए हैं।