आसान नहीं शिव पूजा का रास्ता
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: शीतकाल में भगवान शिव के पावन धाम बैरासकुंड तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं क
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर:
शीतकाल में भगवान शिव के पावन धाम बैरासकुंड तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं की डगर इस बार भी आसान नहीं होगी। सरकार ने बैरासकुंड तक सड़क निर्माण की जिम्मेदारी दो-दो विभाग को सौंपी है। लेकिन 15 साल बाद भी हाल जस का तस है। शीतकालीन यात्रा शुरू हो चुकी है लेकिन पर्यटन मंत्रालय यातायात सुविधा मुहैया कराने की बजाये चादर तानकर कर सोया पड़ा है।
बैरासकुंड नंदप्रयाग के पास है। यहां पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने कठोर तप किया था। शीतकाल में यदि श्रद्धालुओं को बैरासकुंड पहुंचना है तो उन्हें भी रावण की तरह कठोर तप के सिवाय कोई चारा नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना की डगर मुश्किल है। असल में घाट नंदप्रयाग मोटर मार्ग पर कांडई पुल से बैरासकुंड तक 12 किलोमीटर मोटर मार्ग के निर्माण की जिम्मेदारी सरकार ने पीएमजीएसवाइ और एडीबी को सौंपी हुई है। मगर दोनों विभाग 15 साल बाद भी इस मोटर मार्ग का निर्माण पूरा नहीं कर पाए हैं। बैरासकुंड तक अभी सड़क की कटिंग ही हुई है। ग्रामीण इस सड़क पर जान जोखिम में डालकर वाहन संचालित कर रहे हैं। शीतकालीन यात्रा के दौरान यदि यात्री बैरासकुंड के दर्शन करने आते हैं तो उन्हें पांच किलोमीटर से अधिक पैदल सफर भी करना होगा।
मान्यता
-लंकापति रावण भगवान शिव की तपस्या करने के लिए हिमालय में आए थे। कई स्थानों पर तप करने के बाद जब भगवान शिव प्रसन्न न हुए और रावण थक-हारकर लंका लौटने लगा तो बैरासकुंड में रुककर कुंड से पानी पिया और थकान मिटाई। इसी स्थान पर रावण ने भगवान शिव की तपस्या करने का निर्णय लिया। शिव को प्रसन्न करने के लिए बैरासकुंड में रावण ने अपने नौ सिर काटे। जब वह दसवां सिर काटने को तैयार हुआ, तभी भगवान शिव प्रसन्न हुए। मान्यता है कि इसी स्थान पर शिव ने रावण को अपना परम भक्त माना था।
मंदिर का स्वरूप
-बैरासकुंड में भगवान का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर स्थानीय पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर के अंदर शिवलिंग मौजूद है। धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा भक्त साल भर यहां पहुंचकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर मनौती मांगते हैं। बैरासकुंड में एक शिला भी है। बताते हैं कि इसी शिला पर बैठकर रावण ने अपने सिर काटने से पहले भगवान शिव की तपस्या की थी।
ऐसे पहुंचें
-देहरादून और ऋषिकेश से बदरीनाथ नेशनल हाइवे पर नंदप्रयाग में उतरने के बाद नंदप्रयाग घाट मोटर मार्ग से पहुंचा जा सकता है बैरासकुंड। नंदप्रयाग से 10 किलोमीटर कांडई पुल तक घाट रोड से पहुंचा जा सकता है। कांडई पुल से बैरासकुंड मोलागाड़ मोटर मार्ग पर 12 किलोमीटर की सड़क से दूरी तय कर श्रद्धालु बैरासकुंड पहुंच सकते हैं।
आवासीय व्यवस्था
-बैरासकुंड में यात्रियों को ठहरने के लिए दो धर्मशालाएं हैं। इसके अलावा, ग्रामीण अपने घरों में भी श्रद्धालुओं को ठहराने की व्यवस्था करते हैं। यदि श्रद्धालु यहां न ठहरना चाहें तो नंदप्रयाग में लॉज, होटल और गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्टहाउस में रहने की पर्याप्त व्यवस्था है।