Uttarakhand Tourism: ब्लू पॉपी की खुशबू से महक रही है फूलों की घाटी, रोचक है इसकी कहानी
फूलों की घाटी इन दिनों ब्लू पॉपी फूल की खुशबू से महक रहा है। जापानी पर्यटकों की पसंद इस फूल की रंगत देखते ही बनती है। वानस्पतिक नाम मेकोनोपसिस बीटोनिकफोलिया से जाने जाने वाले ब्लू पॉपी का दीदार करने के लिए जापानी पर्यटक फूलों की घाटी में आते हैं।
संवाद सूत्र, जोशीमठ (चमोली)। विश्व धरोहर फूलों की घाटी इन दिनों ब्लू पॉपी फूल की खुशबू से महक रहा है। जापानी पर्यटकों की पसंद इस फूल की रंगत देखते ही बनती है। वानस्पतिक नाम मेकोनोपसिस बीटोनिकफोलिया से जाने जाने वाले ब्लू पॉपी का दीदार करने के लिए हर साल जापानी पर्यटक बड़ी संख्या में फूलों की घाटी में आते हैं। हालांकि, पिछले दो सालों से वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से एक भी जापानी पर्यटक इसके दीदार को नहीं पहुंचा है।
फूल घाटी में मेहमान बनकर आया था यह फूल
कहा जाता है कि चार दशक पूर्व यह फूल घाटी में मेहमान बनकर आया था। तब से यह घाटी का स्थायी सदस्य बन गया। विदेशी सैलानी इस फूल को खासा पसंद करते हैं। ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की रानी भी कहा जाता है। जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह फूल खूब खिलता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं। इस फूल की जड़ों को जहरीला माना जाता है।
जैव विविधिता का खजाना है फूलों की घाटी
समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। यहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया। यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती के मुताबिक फूलों की घाटी के लंबे-चौड़े क्षेत्र में ब्लू पॉपी अपनी दस्तक दे चुका है।
रोचक है ब्लू पॉपी की कहानी
ब्लू पॉपी के फूलों की घाटी में आने की कहानी भी काफी रोचक है। वर्ष 1986 तक यह फूल घाटी में नजर नहीं आता था। इसी वर्ष जापान के शोध छात्र चो बकांबे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी आए। इसी दौरान उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेरे। तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी आए तो वहां ब्लू पॉपी की क्यारी सजी थी। तब से यह फूल लगातार यहां खिल रहा है।
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