इंतजार कब तक? आपदा को दस साल बीत गए, नहीं हो पाया नंदाकिनी नदी पर झूलापुल का निर्माण
अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम नंदप्रयाग में झूलापुल का इंतजार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि यात्री पर्यटक के साथ शव दाह के लिए जाने वाले स्थानीय लोगों को तीन किमी का अतिरिक्त फेरा लगाकर संगम तक पहुंचना पड़ रहा है। झूलापुल निर्माण के लिए जो धनराशि स्वीकृत हुई थी उससे एबेडमेंट तैयार कर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम नंदप्रयाग में झूलापुल का इंतजार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि यात्री, पर्यटक के साथ शव दाह के लिए जाने वाले स्थानीय लोगों को तीन किमी का अतिरिक्त फेरा लगाकर संगम तक पहुंचना पड़ रहा है। झूलापुल निर्माण के लिए जो धनराशि स्वीकृत हुई थी, उससे एबेडमेंट तैयार कर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। तब से एक साल की अवधि बीत चुकी है।
संगम के पास नंदाकिनी नदी पर बना यह झूलापुल वर्ष 2013 में आपदा की भेंट चढ़ गया था। नए झूलापुल के लिए आपदा मद में एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया, लेकिन फिर बात आई-गई हो गई। विदित हो कि नंदप्रयाग के बगड़, मौसा, देवखाल, डिडोली, छैमी, दादड़, कनेरी, गजेण, त्रिशूला, बामनाथ, तेफना, मंगरोली, कंडारा, बांतोली व सोनला समेत पोखरी, कर्णप्रयाग, घाट, दशोली आदि ब्लाक के कई गांवों के लोग शव दाह के लिए इसी संगम पर आते हैं। लेकिन, झूलापुल न होने के कारण उन्हें नंदप्रयाग बाजार से संगम तक तीन किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। पर्यटक व यात्रियों को भी इससे काफी परेशानी होती है।
नगर पंचायत नंदप्रयाग ने यहां नए पुल के निर्माण को 86 लाख का आगणन तैयार किया गया था। लेकिन, अब तक स्वीकृत हो पाई 40 लाख की धनराशि। इसमें 10 लाख की धनराशि वर्ष 2018 में जिलाधिकारी और 30 लाख की धनराशि राज्य वित्त से स्वीकृत हुई। इससे झूलापुल के एबेडमेंट तो तैयार कर लिए गए, लेकिन वहां ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन को अब तक हटाया नहीं जा सका है। इसके लिए पत्राचार चल रहा है।