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शीतकाल में नृसिंह मंदिर में होगी शंकराचार्य की गद्दी की पूजा

शीतकाल के लिए शंकराचार्य की गद्दी को नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शंकराचार्य कोठे में विराजमान किया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 21 Nov 2017 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 09:18 PM (IST)
शीतकाल में नृसिंह मंदिर में होगी शंकराचार्य की गद्दी की पूजा
शीतकाल में नृसिंह मंदिर में होगी शंकराचार्य की गद्दी की पूजा

जोशीमठ, [जेएनएन]: बदरीनाथ से शंकराचार्य की गद्दी को नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शंकराचार्य कोठे में विराजमान किया गया है। अब छह माह तक शीतकाल में भक्त शंकराचार्य गद्दी स्थल की पूजा यहीं पर की करेंगे।

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पांडुकेश्वर गांव के योगध्यान बदरी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शंकराचार्य गद्दी को जोशीमठ के लिए रवाना किया गया। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में सेना के मधुर बैंडों की ध्वनि पर यात्रा पांडुकेश्वर से जोशीमठ के लिए प्रात: रवाना हुई। इस दौरान गोविंदघाट, विष्णुप्रयाग में भी पूजा अर्चना का कार्यक्रम चला। 

मारवाड़ी में सीमा सड़क संगठन के अधिकारी, कर्मचारियों ने शंकराचार्य गद्दी की पूजा अर्चना की। उसके बाद गद्दी जोशीमठ के नृसिंह मंदिर पहुंची। यहां पर भी भक्तों ने गद्दी की पूजा अर्चना की। स्थानीय महिलाओं ने गणेश भगवान की स्तुति के साथ मांगल गीत भी गाए गए। नृसिंह मंदिर में शंकराचार्य गद्दी और रावल पर फूल वर्षा कर स्वागत किया गया। यह यात्रा राज राजेश्वरी मंदिर, नवदुर्गा मंदिर में भी गई। यहां पर स्वास्तिक पूजा का कार्यक्रम हुआ। नृसिंह मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शंकराचार्य कोठे में गद्दी को यथास्थान विराजित किया गया।

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