विकास योजनाओं की प्रगति पर उठे सवाल
इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने को अब चार माह का ही समय बचा है परंतु अभी तक विकास योजनाओं के निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहे हैं।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने को अब चार माह का ही समय बचा है, परंतु अभी तक विकास योजनाओं के निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहे हैं। जिला योजना, राज्य सैक्टर, केंद्रपोषित एवं बीस सूत्री योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न विकास योजनाओं की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति समीक्षा के दौरान लोनिवि सहित कई विभागों की प्रगति पर सवाल उठे।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने सभी निर्माणदायी विभागों को जिला योजना के अंतर्गत संचालित विकास कार्यो में तेजी लाते हुए गुणवत्ता के साथ शीघ्र कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। कहा कि विकास कार्यो की गुणवत्ता के साथ किसी भी प्रकार से समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही सभी विभागों को सोमवार तक जिला योजना के अंतर्गत किए जा रहे कार्यो की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में विधानसभावार उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए गए।
जिला योजना के अंतर्गत लोनिवि को अवमुक्त 181.09 लाख धनराशि में से अभी तक कुछ भी धनराशि व्यय न किए जाने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताई। पेयजल निगम, जल संस्थान, वैकल्पिक ऊर्जा, एलोपैथिक, कृषि, मत्स्य विभागों को अवमुक्त धनराशि के सापेक्ष 50 प्रतिशत से भी कम व्यय पाए जाने पर कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने कहा कि वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है और केवल चार माह ही शेष रह गए हैं। इसलिए विभागों को जो भी वित्तीय एवं भौतिक लक्ष्य दिए गए हैं, उन्हें गुणवत्ता के साथ शीघ्र पूरा करना सुनिश्चित करें। कृषि, उद्यान, उद्योग, पशुपालन, रेशम, मत्स्य आदि रेखीय विभागों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किए गए लाभार्थियों की संख्या भी उपलब्ध कराने को कहा। जिलाधिकारी ने कहा किसी कारण से अगर कोई भी विभाग जिला योजना में अवमुक्त धनराशि खर्च नहीं कर पा रहे है तो वे धनराशि सरेंडर करें, ताकि इस धनराशि को जरुरतमंद विभागों को आवंटित किया जा सके।
इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे, पीडी प्रकाश रावत, डीडीओ सुमन बिष्ट, सीएमओ डॉ. जीएस राणा, अर्थ एवं संख्याधिकारी आनंद सिंह जंगपांगी सहित कृषि, उद्यान, उद्योग, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, रेशम, जल निगम, जल संस्थान, एनएच, लोनिवि आदि सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
ये है जिला योजना की स्थिति
जिला योजना के अंतर्गत अनुमोदित परिव्यय 4943.00 लाख के सापेक्ष 2990.64 लाख धनराशि विभागों को अवमुक्त की गई है, जिसमें से विभागों ने अभी तक 45.89 प्रतिशत धनराशि व्यय की है। राज्य सैक्टर में अवमुक्त धनराशि 9789.02 लाख के सापेक्ष 72.82 प्रतिशत, केंद्र पोषित में अवमुक्त धनराशि 16812.99 लाख के सापेक्ष 85.36 प्रतिशत तथा बाह्य सहायतित योजना में अवमुक्त 343.62 लाख के सापेक्ष 70.64 प्रतिशत धनराशि विभागों ने व्यय की है। जिला योजना के अंतर्गत लोनिवि ने अवमुक्त धनराशि 181.09 लाख के सापेक्ष शून्य प्रतिशत, जल निगम ने 311.15 लाख के सापेक्ष 175.44 लाख, जल संस्थान ने 305 लाख के सापेक्ष 135.46 लाख, वैकल्पिक ऊर्जा ने 98.72 लाख के सापेक्ष 30.25 लाख, एलोपैथिक ने 87.56 लाख के सापेक्ष 8.43 लाख, कृषि ने 250 लाख के सापेक्ष 167.07 लाख, उद्यान ने 237.62 लाख के सापेक्ष 97.01, पशुपालन ने 150.43 लाख के सापेक्ष 60.44 लाख, मत्स्य ने 50 लाख के सापेक्ष 18.59 लाख व्यय किया गया है। जबकि अन्य विभागों ने 70 प्रतिशत से अधिक धनराशि व्यय की जा चुकी है।
सीएम हेल्पलाइन की 29 शिकायतें लंबित
सीएम हेल्पलाइन, जिला शिकायत प्रकोष्ठ एवं अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन पर विभिन्न विभागों की 29 शिकायतें लंबित हैं। जिला शिकायत प्रकोष्ठ पर दर्ज 68 शिकायतों में से 56 निस्तारित हुई, जबकि 12 लंबित हैं। विभिन्न माध्यमों से प्राप्त 600 शिकायतें विभागों को निस्तारण हेतु भेजी गई है, जिसमें से कतिपय शिकायतों के निस्तारण की आख्या विभागों से उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। जिलाधिकारी ने अगले तीन दिन के भीतर सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज सभी शिकायतों तथा अगले 10 दिनों के भीतर जिला प्रकोष्ठ एवं अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों का निस्तारण करते हुए आख्या उपलब्ध कराने के कडे़ निर्देश भी अधिकारियों को दिए। कहा कि जनता की शिकायतों के निस्तारण में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।