जिला पंचायत अध्यक्ष को राजनीतिक सरगर्मी तेज
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जिला पंचायत में राजनीतिक सरगर्मी शुरू हो गई है। दावेदार गुणागणित में जुट गए हैं। अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित अध्यक्ष की यह सीट पूर्व अध्यक्ष मुन्नी देवी के विधायक बनने के बाद रिक्त हुई थी।
27 सदस्यीय जिला पंचायत सदस्यों में से कोठली वार्ड से फिलहाल पूर्व अध्यक्ष मुन्नी देवी के इस्तीफे से सदस्य की सीट रिक्त पड़ी हुई है। ऐसे में 26 सदस्यों को निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेना है। अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित अध्यक्ष की इस सीट पर भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार देवर खडोरा वार्ड से जिला पंचायत सदस्य भागीरथी कुंजवाल हैं। इसके अलावा कांग्रेस से मटई वार्ड से जिला पंचायत सदस्य माहेश्वरी कन्याल भी प्रबल दावेदार हैं। माहेश्वरी कन्याल पहले भी अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुकी हैं। इसके अलावा बांक देवाल से जिला पंचायत सदस्य रमोती देवी की भी दावेदारी हो सकती है।
जिला पंचायत का कार्यकाल अगस्त 2019 तक है। ऐसे में इस उप चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। सदन में भाजपा का कब्जा होने के चलते भाजपा के रणनीतिकार उप चुनाव में भी इस सीट को हर हालत में अपने पाले में करने की रणनीति बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस भी चुनावी रणनीति के गुणा भाग कर तैयारी के साथ मैदान में उतरना चाहती है। हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी के उम्मीदवार घोषित नहीं किए जाने से स्थिति साफ नहीं हो पाई है। फिलहाल न्यायालय के आदेश व अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यभार उपाध्यक्ष लखपत बुटोला के पास है। चमोली जिला पंचायत उपाध्यक्ष लखपत बुटोला भी प्रमुख राजनीतिक किरदार हैं।
बैठक नहीं हो पाई
जिला पंचायत के कार्यवाहक अध्यक्ष लखपत बुटोला की ओर से 22 अक्टूबर को बुलाई गई जिला पंचायत की सामान्य बैठक निकाय चुनाव के आचार संहिता के चलते प्रशासन ने अंतिम समय में रोक दी गई थी। ऐसे में जिला पंचायत में विकास कार्यों के प्रस्ताव छह माह से ठप पड़े हैं। विकास कार्यों में जिला पंचायत की राजनीतिक लड़ाई रोड़ा साबित हुई है। गौरतलब है कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुन्नी देवी के विधायक बनने के बाद दो बार जिला पंचायत की बैठक कोरम पूरा नहीं होने के कारण आयोजित नहीं हो पाई थी। ऐसे में प्रशासन के निकाय की आचार संहिता का हवाला देकर जिला पंचायत की बैठक को ऐन वक्त पर रोके जाने को राजनीतिक कारण माना जा रहा है।