एंबुलेंस में फार्मेसिस्ट ने कराया प्रसव, जच्चा-बच्चा सुरक्षित
सीमांत जनपद चमोली के अस्पतालों में संसाधनों का अभाव मरीजों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है।
संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग: सीमांत जनपद चमोली के अस्पतालों में संसाधनों का अभाव मरीजों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। ऐसे में आपातकालीन एंबुलेंस सेवा 108 आज भी महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। शनिवार को नगर क्षेत्र कर्णप्रयाग में 108 सेवा में तैनात फार्मेसिस्ट की देखरेख में महिला ने बच्चे को एंबुलेंस में ही जन्म दिया। प्रसव के बाद देर रात्रि उसे श्रीनगर हायर सेंटर लाया गया, जहां मां व बच्चा सुरक्षित हैं।
लगभग सांय छह बजे कोटेश्वर बेरागना निवासी मदद लाल अपनी 24 वर्षीय गर्भवती पत्नी माधुरी को 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल गोपेश्वर से बेस अस्पताल श्रीनगर गढ़वाल ला रहे थे। जब वह कर्णप्रयाग नगर की सीमा में पहुंचे तो अचानक माधुरी की तबीयत बिगड़ने लगी। जिस पर एंबुलेंस में तैनात फार्मेसिस्ट सुमित खनेड़ा ने महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए एंबुलेंस में ही प्रसव करने में मदद की और बालक का जन्म हुआ। फार्मेसिस्ट सुमित खनेड़ा ने बताया कि प्रसव पीड़ित में खून की कमी के चलते जिला चिकित्सालय से शनिवार दोपहर बाद बेस अस्पताल श्रीनगर रेफर किया गया था। श्रीनगर आने के दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई और कर्णप्रयाग सीमा अंर्तगत पंचपुलिया में महिला ने बालक को जन्म दिया। प्रसव के बाद 108 एंबुलेंस की मदद से महिला को समीप स्थित उपजिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग लाया गया। वहां महिला चिकित्सक ने जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और महिला में खून की कमी को देख उसे हायर सेंटर श्रीनगर ले जाने की सलाह दी। शनिवार रात्रि महिला व बच्चे को बेस अस्पताल श्रीनगर गढ़वाल भर्ती कराया गया जहां मां व बच्चा सुरक्षित हैं। प्रसव के दौरान 108 आकस्मिक सेवा एंबुलेंस के फार्मेसिस्ट सुमित खनेड़ा के साथ चालक अंकित निराला व उनके साथ महिला के स्वजन भी मौजूद थे।
ब्लड यूनिट स्थापित, संचालन बंद एक वर्ष पूर्व ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्णप्रयाग को उच्चीकृत कर उपजिला चिकित्सालय में तब्दील किया गया था। लेकिन, यहां संसाधनों का अभाव बीमार मरीजों व तीमारदारों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। अस्पताल में ब्लड यूनिट स्थापित है। लेकिन वर्षो से यूनिट का संचालन नही हो पा रहा है। रोगी व दुर्घटना में खून की कमी को लेकर दूरस्थ क्षेत्रों से मरीज अस्पताल पहुंचते हैं और ब्लड यूनिट संचालन न होने से उन्हें हायर सेंटर श्रीनगर गढ़वाल व देहरादून रेफर करना पड़ता है। सामाजिक संस्था परिवर्तन यूथ क्लब के अरविंद चौहान कहते हैं कई बार स्वास्थ्य महकमे के आलाधिकारियों सहित मुख्यमंत्री से भी ब्लड बैंक की स्थापना की मांग उठाई गई। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार का रवैया सबके सामने है। उप जिला चिकित्सालय में फिजीशियन की तैनाती तक नहीं हो सकी है, जबकि बाल रोग विशेषज्ञ न होने से क्षेत्रवासियों को दिक्कतों से जूझना पड़ता है।